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सीबीआइ विवाद : सीवीसी रिपोर्ट बनी वर्मा के सीबीआइ से बाहर होने का कारण, लगाये गये थे आठ गंभीर आरोप

नयी दिल्ली : केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा उसकी जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों के कारण आलोक वर्मा को सीबीआइ प्रमुख के पद से हटना पड़ा. जांच एजेंसी के 50 साल से अधिक के इतिहास में यह अपनी तरीके का पहला मामला है. सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया […]

नयी दिल्ली : केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा उसकी जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों के कारण आलोक वर्मा को सीबीआइ प्रमुख के पद से हटना पड़ा. जांच एजेंसी के 50 साल से अधिक के इतिहास में यह अपनी तरीके का पहला मामला है.
सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा की गयी ‘टेलीफोन निगरानी’ का हवाला दिया गया. अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत उच्चशक्ति प्राप्त समिति ने सीवीसी रिपोर्ट पर विचार किया.
इस रिपोर्ट में वर्मा पर आठ आरोप लगाये गये थे. वर्मा को उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बहाल किया था. सीवीसी रिपोर्ट में विवादित मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले का जिक्र किया गया और दावा किया गया कि इस मामले पर गौर कर रही सीबीआइ टीम हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को इस मामले में आरोपी बनाना चाहती थी, लेकिन वर्मा ने मंजूरी नहीं दी. इस मामले में जांच विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के नेतृत्व में की गयी.
अधिकारियों ने कहा कि सीवीसी रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा फोन पर पकड़ी गयी बातचीत का भी जिक्र है. एक अन्य मामला सीबीआइ द्वारा गुड़गांव में भूमि अधिग्रहण के बारे में दर्ज शुरुआती जांच से संबंधित है. सीवीसी ने आरोप लगाया कि इस मामले में वर्मा का नाम सामने आया था. सीवीसी ने इस मामले में विस्तृत जांच की सिफारिश की थी. सीवीसी ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्मा ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद से जुड़े आइआरसीटीसी मामले के एक अधिकारी को बचाने का प्रयास भी किया था.

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