नयी दिल्ली :सीबीआई बनाम सीबीआई के केस में सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने के बाद जब राजनीति तेज हुई तो वित्तमंत्री अरुण जेटली ने डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा कि सरकार ने वही निर्णय किया जैसा उससे सीवीसी ने करने को कहा.
कोर्ट के फैसले के बाद अरुण जेटली ने कहा कि इस फैसले को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. उस वक्त सीवीसी ने यह सिफारिश की थी कि दो अफसरों के बीच टकराव को टालने के लिए उन्हें छुट्टी पर भेज देना ही सबसे बेहतरीन निर्णय होगा और वही सरकार ने किया. इस निर्णय के पीछे सरकार की यही मंशा थी कि सीबीआई डायरेक्टर्स के खिलाफ जो आरोप लगे हैं उनकी जांच निष्पक्ष तरीके से हो जाये.
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गौरतलब है कि कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर पीएम मोदी और उनकी सरकार पर आरोप लगाये थे. केजरीवाल ने ट्वीट किया कि कोर्ट के फैसले से मोदी सरकार पर दाग लगा. मोदी सरकार ने देश की सभी स्वतंत्र संस्थानों को बर्बाद कर दिया है, साथ ही लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या राफेल घोटाले की जांच को रोकने के लिए सीबीआई निदेशक को अवैध रूप से आधी रात को नहीं हटाया गया, जो सीधे पीएम की ओर जाता है?
सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को आज सुबह सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है , लेकिन कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि आलोक वर्मा अभी कोई नीतिगत फैसला नहीं लें. कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा की वापसी हो गयी है. ज्ञात हो कि भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई के दो निदेशकों राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच विवाद होने के बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था.
केंद्र सरकार ने वर्मा और अस्थाना के बीच विवाद के बाद दोनों निदेशकों छुट्टी पर भेजकर संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम मुखिया बना दिया था. बता दें कि बीते 6 दिसंबर को आलोक वर्मा, केंद्र सरकार और सीवीसी के पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था.