नयी दिल्ली : अपने हिंदी प्रेम को लेकर लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर हिंदी का प्रयोग केवल हिंदी भाषी राज्यों में किया जायेगा, इसके लिए गैर हिंदी भाषी राज्यों को मजबूर नहीं किया जायेगा. सरकारी प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर हिंदी का उपयोग केवल इस भाषा को बोलने वाले क्षेत्रों में ही होगा.
प्रवक्ता ने कहा, ‘आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी के बारे में मौजूदा नीति को फिर से बताया गया है.’ यह स्पष्टीकरण गृह मंत्रालय द्वारा राजभाषा हिंदी को सोशल मीडिया पर प्रोत्साहित करने के लिए दो परिपत्र जारी होने से विवाद छिड़ने के बाद आया है. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता, राज्य में भाजपा के दो सहयोगियों तथा द्रमुक ने इसका कड़ा विरोध किया है. माकपा नेता वृंदा करात ने हिन्दी थोपने के किसी भी कदम का विरोध किया, जबकि ओडिशा विधानसभा में एक सदस्य द्वारा हिन्दी में सवाल किए जाने के प्रयास को आसन ने स्वीकृति नहीं दी.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने 27 मई को एक परिपत्र जारी कर सभी मंत्रालयों विभागों, सार्वजनिक उद्यमों तथा बैंकों से सोशल मीडिया के आधिकारिक एकाउंट में हिन्दी को प्रमुखता देने को कहा गया था. राजभाषा विभाग के निदेशक अवधेश कुमार मिश्रा के लिखित निर्देश में कहा गया, ‘ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग, गूगल, यूट्यूब जैसे आधिकारिक एकाउंट का परिचालन करने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हिन्दी एवं अंग्रेजी का इस्तेमाल करना चाहिए. हिंदी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इस निर्देश के बाद ही गैर हिंदी भाषी राज्यों से विरोध के सुर उठे थे.