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CBI में घमासान : CVC की query से आलोक वर्मा के घर रेकी तक, जानें क्या है पूरा मामला…

नयी दिल्ली : सीबीआई में मचे घमासन के बीच आज एक नयी खबर सामने आयी कि छुट्टी पर भेजे गये जांच एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा के आधिकारिक आवास के बाहर चार लोगों को घूमते हुये पाया गया. पुलिस इन लोगों से पूछताछ कर रही है. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आयी है. […]

नयी दिल्ली : सीबीआई में मचे घमासन के बीच आज एक नयी खबर सामने आयी कि छुट्टी पर भेजे गये जांच एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा के आधिकारिक आवास के बाहर चार लोगों को घूमते हुये पाया गया. पुलिस इन लोगों से पूछताछ कर रही है. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आयी है. बहरहाल, पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली) मधुर वर्मा ने इस बात से इनकार किया कि पुलिस ने चारों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की जा रही है. गौरतलब है कि मंगलवार की देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति समिति से जारी आदेश के तहत, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया और एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का तत्काल प्रभाव से प्रभारी निदेशक नियुक्त कर दिया गया. आइए जानें क्या है पूरा मामला :-

कैसे सामने आया अंदरुनी कलह

सीबीआई का आंतरिक कलह तब सामने आया जब इस वर्ष जुलाई महीने में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन द्वारा मांगी गयी एक जानकारी का जवाब सीबीआई ने दिया. सीबीआई ने अपने जवाब में कहा कि राकेश अस्थाना के पास यह अधिकार नहीं कि वे डायरेक्टर आलोक वर्मा का प्रतिनिधित्व करें. दरअसल विजिलेंस कमीशन यह जानना चाहता था कि आलोक वर्मा की अनुपस्थिति में सीबीआई सलेक्शन कमेटी की मीटिंग में कौन भाग लेगा, क्योंकि आलोक वर्मा उरुग्वे गये हुए थे. यह मीटिंग 12 जुलाई को होनी थी, सीबीआई ने सीवीसी से कहा कि वह 19 जुलाई तक मीटिंग को स्थगित कर दे, ताकि आलोक वर्मा मीटिंग में भाग ले सकें. सीबीआई ने सीवीसी को लेटर लिखकर बताया कि राकेश अस्थाना करप्शन के एक केस में एजेंसी की जांच के दायरे में हैं.

इसके बाद अगस्त महीने में राकेश अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये. उन्होंने सीबीआई द्वारा मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच को सुलझाने के लिए हैदराबाद स्थित कारोबारी सतीश साना द्वारा भुगतान किए गये 2 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत के बारे में बताया. राकेश अस्थाना उस वक्त एसआईटी प्रमुख थे जो मोइन कुरैशी मामले की जांच कर रहा था.एक महीने बाद 21 सितंबर को सीबीआई ने सीवीसी को बताया कि राकेश अस्थाना भ्रष्टाचार के छह केस में जांच का सामना कर रहे हैं.

इसके बाद सतीश साना की पूछताछ की गई, जिन्हें विदेश जाने से रोक दिया गया और दुबई स्थित मध्यस्थ मोहन प्रसाद की गिरफ्तारी हुई थी. सतीश साना ने अपने बयान में भ्रष्टाचार के मामले में राकेश अस्थाना का नाम लिया था, जिसके बाद राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गयी. उसके बाद 22 अक्तूबर को डीएसपी रैंक के अधिकारी देवेंद्र कुमार की गिरफ्तारी हुई और उन्हें रिमांड पर भेज दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया मामला

एफआईआर दर्ज होने के बाद राकेश अस्थाना ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया. वहीं आलोक वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी. इधर कल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई के अधिकारियों को छुट्टी पर इसलिए भेजा गया है कि सीबीआई की प्रतिष्ठा धूमिल ना हो. वहीं कांग्रेस ने सरकार पर हमले शुरु कर दिये हैं और कहा है कि चूंकि यह मामला राफेल की जांच से जुड़ा था इसलिए दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया.

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