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जानें कौन हैं एम नागेश्वर राव, जिन्हें सरकार ने थमायी है CBI की कमान

नयी दिल्ली : कल रात सरकार ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को एजेंसी का निदेशक नियुक्त कर दिया है विवाद में उलझे दोनों टॉप निदेशक राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया है. हालांकि छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. […]

नयी दिल्ली : कल रात सरकार ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को एजेंसी का निदेशक नियुक्त कर दिया है विवाद में उलझे दोनों टॉप निदेशक राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया है. हालांकि छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इन विवादों के बीच एम नागेश्वर राव ने चार्ज ले लिया है.

1986 बैच के आईपीएस हैं नागेश्वर राव

नागेश्वर राव 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, हालांकि वे तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले हैं. उन्होंने आईपीएस तो 1986 में किया लेकिन सीबीआई से 2016 में जुड़े थे. उस वक्त वे दक्षिण जोन चेन्नई के संयुक्त निदेशक थे. इसी वर्ष मई महीने में उन्हें सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के पद पर प्रमोट किया गया था. उन्होंने ओडिशा, बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में भी कई जिम्मेदारियां संभाली. नागेश्वर राव ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कैमेस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट किया है. उन्होंने मद्रास IIT से रिसर्च भी किया है.

सारधा घोटाले की भी कर चुके हैं जांच

पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित सारधा घोटाले की भी नागेश्वर राव जांच कर चुके हैं. उनकी छवि एक कड़क आफिसर की रही है. अपने कर्तव्यों को निभाने में वे पूरी ईमानदारी बरतते हैं और कई बार पुरस्कृत भी हो चुके हैं. पहली पोस्टिंग ओडिशा के तलचर में मिलने के बाद इन्होंने कोल माफिया के खिलाफ कार्रवाई करके खूब वाहवाही बटोरी थी.

डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल शुरू करवाया

ओडिशा के कई जिलों में एसपी के पद पर कार्यरत रहने के बाद वे राउरकेला में रेलवे से जुड़े. ओडिश में हुए एक रेप के मामले में उन्होंने सर्वप्रथम डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का प्रयोग किया और सात साल तक चले केस में अंतत: आरोपी को सजा दिलायी. 2014 में उन्होंने ओडिशा और आंध्रप्रदेश में आये हुदहुद तूफान से निपटने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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