नयी दिल्ली : फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट विमानों के सौदे पर बढ़ते वाक-युद्ध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवारको कहा कि भाजपा के नेतृत्ववाली राजग सरकार ने पूरी तरह अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित विमानों के लिए यह सौदा यूपीए सरकार के साथ 2007 में हुई बातचीत के मुकाबले 20 प्रतिशत सस्ते में किया है.
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तीखे आरोपों के कुछ ही मिनट बाद जेटली ने ट्वीटर पर कहा कि ‘विपक्ष भरमाने की कोई भी कोशिश करे, लेकिन उससे विपक्ष के नेता के झूठ की लीपा-पोती नहीं हो सकती. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि मोदी केवल ‘अपने 15-20 नजदीकी पूंजीपतियों’ की मदद करने में लगे हैं. जेटली ने कहा, राहुल गांधी ने मेरे सवालों को पढ़ा नहीं है-पूरी तरह अस्त्र-सस्त्रों से सज्जित राफेल विमान की 2016 की कीमत 2007 में की गयी पेशकश से 20 प्रतिशत कम है.’ उन्होंने कहा कि 2015 में प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति ने जब कहा कि यह सौदा ‘2007 की तुलना में बेहतर शर्तों पर है’, तो उनका अभिप्राय यही था.
जेटली ने बुधवार को राहुल गांधी से 15 सवाल पूछे थे और कहा था कि वह इस मामले में ‘मिथ्या प्रचार‘ कर रहे हैं और ‘असत्य’ का सहारा ले रहे हैं. राहुल गांधी ने गुरुवारको एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूपीए सरकार ने 126 राफेल विमानों का सौदा प्रति विमान 520 करोड़ रुपये में किया था, लेकिन भाजपा सरकार इन विमानों को इससे तीन गुना दाम पर खरीद रही है. इस पर जेटली ने जवाब दिया कि मेरे सवालों पर मुद्दे को भरमाने की राहुल गांधी कुछ भी कोशिश कर लें पर उससे उनके झूठ की लीपा-पोती नहीं की जा सकेगी. वित्त मंत्री ने राहुल गांधी के इस बयान पर कि नोटबंदी भी मोदी के कुछ नजदीकी उद्योगपतियों के फायदे के लिए की गयी थी, कटाक्ष करते हुए जेटली ने कहा, ‘ज्ञान की कमी घातक होती है.’
उन्होंने कहा कि राहुल यह भूल रहे हैं कि मोदी सरकार ने दिवाला संहिता लागू की जिससे कर्ज न चुकानेवाले अपनी संपत्ति से हाथ धो रहे हैं. उन्होंने कहा कि राहुल का यह कहना कल्पित कथा है कि नोटबंदी से एनपीए रखनेवालों को फायदा हो रहा है. जेटली ने इस पहले अपने फेसबुक ब्लॉग में कहा, ‘नोटबंदी के पीछे वृहद उद्देश्य भारत को कर अनुपालन में पीछे रहनेवाले समाज से बेहतर कर अनुपालन करनेवाला समाज बनाना था. इसमें अर्थव्यवस्था को औपचारिक ढर्रे में लाना जरूरी था ताकि कालेधन पर कुठाराघात किया जा सके.’