नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दो वयस्कों के बीच परस्पर सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध बताये जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए . एम . खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने होटल कारोबारी केशव सूरी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया.
केंद्र को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. पीठ ने कहा कि इस याचिका पर पहले से ही इस मामले पर तथा अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ विचार करेगी.
सूरी ने अपनी याचिका में कहा है, ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 377 कानून की किताब में रहने के कारण अनेक वयस्क और परस्पर सहमति से समलैंगिक यौन संबंध बनाने वाले एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक, उभय लिंगी, ट्रांसजेंडर और क्वीर) सदस्यों को झूठे मुकदमों की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और कुछ तो वास्तव में इसका सामना कर रहे हैं.’