17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

#TripleTalaqBill : लोकसभा में तीन तलाक बिल पास, सभी संशोधन खारिज

नयी दिल्ली :लोकसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को आज मंजूरी दे दी. लोकसभा में विधेयक के विरोध में एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने दो संशोधन रखे थे, लेकिन दोनों संशोधन को लोकसभा में खारिज कर दिया गया. आवैसी के पक्ष में केवल दो वोट पड़े और विरोध में 242 वोट. […]


नयी दिल्ली :लोकसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को आज मंजूरी दे दी. लोकसभा में विधेयक के विरोध में एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने दो संशोधन रखे थे, लेकिन दोनों संशोधन को लोकसभा में खारिज कर दिया गया. आवैसी के पक्ष में केवल दो वोट पड़े और विरोध में 242 वोट. तीन तलाक को लेकर अब तक सभी 18 संशोधन को खारिज कर दिया गया.

* अकबर और ओवैसी के बीच नोकझोंक

तीन तलाक संबंधी विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक देखने को मिली. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अकबर ने शाह बानो प्रकरण का हवाला दिया तो ओवैसी ने उनको टोका और कहा कि उस वक्त आपने उस कानून (राजीव गांधी के समय) को पारित कराया था.

इस पर अकबर ने कहा कि मेरे दोस्त को शायद यह पता नहीं है कि वह 1989 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनके इस कथन पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाया. गौरतलब है कि शाह बानो प्रकरण 1985 का है. शाह बानो को उसके पति ने तलाक दे दिया था और उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में पीड़िता के लिए मासिक गुजारा भत्ते का आदेश दिया. इस आदेश के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ मुस्लिम संगठनों ने आंदोलन किया जिसके बाद राजीव गांधी की सरकार इसके खिलाफ कानून लेकर आई.

आज लोकसभा में तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करने से संबंधित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को सरकार ने पेश किया.ट्रिपल तलाक बिल पर चर्चा शुरू करते हुए कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि जब इस्लामिक देश तीन तलाक पर कानून में संशोधन कर सकते हैं, तो फिर हम क्यों नहीं. वह भी तब जबकि हम शरीयत में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि मैं सदन से यह अपील करना चाहता हूं आप सब इस विधेयक पर पार्टी से ऊपर उठकर सोचें. उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर राजनीति -धर्म से ऊपर उठकर सोचा जाना चाहिए, क्योंकि यह मसला हमारे मां,बहन और बेटियों से जुड़ा है.

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की तरफ से सुष्मिता देव ने कहा कि निश्चित तौर पर ‘ट्रिपल तलाक’ महिलाओं के अधिकारों पर कुठाराघात है और महिला सशक्तीकरण का विरोधी भी है, बावजूद इसके इस विधेयक में जो प्रावधान किये गये हैं उसपर पुनर्विचार जरूरी है.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है और उच्चतम न्यायालय द्वारा तलाक ए बिदत को गैरकानून घोषित किये जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए इस सदन द्वारा इस संबंध में विधेयक पारित करना जरूरी हो गया है.

उन्होंने इस संबंध में कुछ सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून किसी मजहब से जुड़ा नहीं बल्कि नारी सम्मान से जुड़ा है. इससे पहले विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान की अवहेलना करता है और कानूनी रुपरेखा में उचित नहीं बैठता.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय के मामलों से निपटने के लिए घरेलू हिंसा कानून और आईपीसी के तहत अन्य पर्याप्त प्रावधान हैं और इस तरह के नये कानून की जरुरत नहीं है. ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक पारित होने और कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को छोड़ने की घटनाएं और अधिक बढ़ जाएंगी. राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने भी विधेयक को गैरजरुरी बताते हुए कहा कि इसमें दोषी को तीन साल की सजा का प्रावधान सही नहीं है.

बीजद के भर्तृहरि महताब ने विधेयक को पेश करने के तरीके पर सवाल खडा किया और कहा कि इसका मसौदा बनाने में खामियां हैं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में तीन तलाक के संबंध में उच्चतम न्यायालय का दिया हुआ फैसला नहीं झलकता और सरकार को इसे वापस लेकर पुनर्विचार करना चाहिए.

आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर और अन्नाद्रमुक के ए अनवर राजा ने भी विधेयक को गैरजरुरी बताते हुए कहा कि यह विवाहित मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय करने के बजाय उनके साथ अन्याय को बढ़ाएगा.

इन सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है जो इस सदन में मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए विधेयक पेश किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, यह कानून किसी पूजा, इबादत या मजहब से जुडा नहीं होगा बल्कि नारी सम्मान और गरिमा के लिए है. प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तलाक ए बिदत को गैरकानूनी करार दिया जिसके बाद अगर मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय की घटनाएं हो रहीं हैं तो क्या यह सदन खामोश रहेगा? उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य बुनियादी अधिकारों और अधिकारों की समानता की बात कर रहे हैं तो क्या इस सदन को तीन तलाक की पीड़िताओं के साथ हो रहे अन्याय को नहीं देखना होगा.

प्रसाद ने विधेयक को संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ होने संबंधी कुछ सदस्यों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत यह विधेयक पूरी तरह संविधान के बुनियादी ढांचे के तहत है और इस सदन को विवाहित मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय को खत्म करने के लिए कानून लाने का पूरा अधिकार है.

बाद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कानून मंत्री प्रसाद ने उनसे विशेष मामले के तौर पर उक्त विधेयक पर आज ही सदन में चर्चा कराके इसे पारित कराने का आग्रह किया है और दोपहर दो बजे इस पर चर्चा शुरु होगी. हालांकि कुछ सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें