सरायकेला. अत्यधिक बारिश होने से जहां जिले में 90 फीसदी धान की रोपनी हुई है, वहीं धान की फसल में सफेद रोग जिसे आम भाषा में पेरपेरा रोग कहा जाता है, लगना शुरू हो गया है. इस रोग में धान पौधों के पत्तों में कीड़े लग जाते हैं और धान की फसल का ग्रोथ रुक जाता है. इस रोग के लगने का मुख्य कारण मिट्टी में उर्वरता की कमी, देर से रोपनी कार्य है. यह रोग उसी खेतों में लगता है जिसमें देर से रोपनी होती है. किसानों का कहना है कि इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण धान के खेतों में सफेद रोग लग रहे हैं.
जिले में 90 फीसदी हो चुका है आच्छादन : जिले में इस वर्ष धान की रोपनी 90 फीसदी से अधिक हुई है. विभाग की मानें तो जिले में इस वर्ष एक लाख हेक्टयर भूमि पर धान की फसल लगाने का लक्ष्य रखा गया था. 15 अगस्त तक 90 फीसदी से ऊपर आच्छादन हासिल कर लिया गया है.- धान की फसल में सफेद रोग लग रहे हैं, इसकी जानकारी लेकर इसके निराकरण का प्रयास किया जाएगा.-रोशन नीलकमल
जिला कृषि पदाधिकारी सरायकेला266 रुपये का यूरिया बैग 600 में, किसानों की जेब पर डाका
सरायकेला-खरसावां जिला में यूरिया खाद की किल्लत हो गयी है. सरकार द्वारा तय रेट से तिगुने से अधिक दर पर बाजार में यूरिया की बिक्री हो रही है. वह भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. सरकार द्वारा तय 266.50 रुपये वाला यूरिया का बैग 600 रुपये में बिक रहा है.कालाबाजारी करने पर डीलर का लाइसेंस सस्पेंड
जिला कृषि पदाधिकारी रोशन नीलकमल ने कहा कि जिले में खाद के पर्याप्त स्टॉक हैं. खाद की कालाबजारी रोकने के लिए लगातार निरीक्षण व छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. जहां से भी शिकायत मिल रही है, वहां टीम कार्रवाई कर रही है. कालाबजारी रोकने के लिए टीम गठित की गयी है. विगत दिनों राजनगर में खाद की कालाबाजारी करने की शिकायत पर दो दुकानदारों को शोकॉज जारी किया गया था, जिसमें से एक का लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया. दूसरे के स्पष्टीकरण आने का इंतजार है.– धान की फसल के लिए अभी सबसे अधिक यूरिया की दरकार है, लेकिन यूरिया नही मिल रही है, जिससे काफी परेशानी हो रही है. –
जयप्रकाश सिंहदेव,
किसान सरायकेला– यूरिया की खुलेआम कालाबजारी हो रही है. तय कीमत से दोगुने में यूरिया बेची जा रही है. जिला प्रशासन इस पर अंकुश लगाये और किसानों को तय कीमत पर यूरिया उपलब्ध कराये.-रामरतन महतो
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