खरसावां. सरायकेला-खरसावां जिले की सड़कों पर तेज रफ्तार और लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है. जनवरी से अगस्त 2025 तक जिले में हुई लगभग 140 सड़क दुर्घटनाओं में 145 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले अगस्त माह में ही करीब एक दर्जन लोगों ने दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा दी. इसके बावजूद लोग ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. बिना हेलमेट बाइक चलाना, ट्रिपल राइडिंग, ड्रिंक एंड ड्राइव जैसी लापरवाहियों के कारण सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिला प्रशासन द्वारा नियमों के पालन और जागरुकता को लेकर प्रयास तो किये जा रहे हैं, लेकिन हादसों पर अंकुश लगाना अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है. जिले में 18 से अधिक ब्लैक स्पॉट चिन्हित, फिर भी हो रहीं दुर्घटनाएं सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए जिले में 18 से अधिक ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें सरायकेला-कांड्रा मार्ग का दुगनी, टोल रोड मोड़, घोड़ा बाबा मंदिर (आदित्यपुर), झाबरी, आमदा रोड, पाटाडाउन, नागासोरेंग आदि प्रमुख हैं. इन स्थलों पर साइनेज, सोलर लाइट, तथा यातायात पुलिस व टाइगर मोबाइल की नियमित गश्ती का निर्देश दिया गया है, लेकिन प्रभाव जमीन पर नहीं दिख रहा.
सड़क सुरक्षा समिति की बैठकें बेअसर
जिले में सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सड़क सुरक्षा समिति गठित है, जो समय-समय पर बैठक कर ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने, सुधार कार्य और जागरुकता अभियान पर चर्चा करती है, लेकिन जमीनी असर न के बराबर दिख रहा है.नियमों की अनदेखी बन रही मौत की वजह :
जिले में बाइक पर ट्रिपल राइडिंग, कम उम्र के बच्चों द्वारा ट्रैक्टर व बाइक चलाना, ओवरलोडिंग, स्लैग लदे वाहनों की धूल और बिना साइलेंसर की तेज बाइक जैसे दृश्य आम हो चले हैं. ड्रिंक एंड ड्राइव और ओवरस्पीडिंग अब भी सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बने हुए हैं.बढ़ती स्टंटबाजी से भी खतरा
शाम होते ही जिले के कई सड़कों पर बाइकर्स द्वारा खुलेआम स्टंट किए जा रहे हैं. इससे न सिर्फ स्टंट कर रहे युवकों की जान को खतरा है, बल्कि सड़कों पर चल रहे अन्य वाहन चालकों और राहगीरों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है. प्रेशर हॉर्न, तेज आवाज वाले साइलेंसर और ध्वनि प्रदूषण भी गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं.
जुलाई सबसे घातक महीना
पिछले सात महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई 2025 में सबसे ज्यादा 26 मौतें दर्ज की गयी हैं. साल 2023 में जहां 161 लोगों की जान सड़क हादसों में गयी थी, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 166 तक पहुंच गया है.
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