Vidur Niti: महाभारत काल में महात्मा विदुर का नाम नीति, धर्म और सच्चाई के प्रतीक के रूप में लिया जाता है. वे हस्तिनापुर के महामंत्री थे और अपने गहन विचारों तथा धर्मनिष्ठा के कारण हर युग में सम्मानित माने जाते हैं. विदुर ने धृतराष्ट्र को बार-बार न्याय और धर्म का मार्ग अपनाने की सलाह दी थी. उनके उपदेश केवल उस समय तक सीमित नहीं रहे, बल्कि आज भी जीवन को सही दिशा देने वाले माने जाते हैं. विदुर नीति का पालन करने वाला व्यक्ति सफलता, शांति और सम्मान अर्जित कर सकता है. विदुर नीति में यह बताया गया है कि इंसान अपनी आदतों से ही दूसरों को अपना और पराया बनाता है. इंसान की कुछ आदतें ही उसे अपनों से दूर कर देती हैं, जिससे मुश्किल परिस्थितियों में भी लोग साथ नहीं देते हैं.
- विदुर नीति में स्पष्ट कहा गया है कि जो लोग चोरी, छल या दूसरों को कष्ट पहुंचाकर धन कमाते हैं, वे भले ही थोड़े समय के लिए अमीर लगें, लेकिन उनके जीवन से सुख और शांति हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है. ऐसा धन टिकता नहीं और अंत में दुख का कारण बनता है.
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- आलस्य को विदुर ने गरीबी और असफलता की जड़ बताया है. जो लोग मेहनत से बचते हैं और काम को टालते रहते हैं, वे अवसरों को खो देते हैं और समाज में सम्मान भी नहीं पाते. बिना परिश्रम के जीवन में सफलता असंभव है.
- विदुर नीति में संतोष को सबसे बड़ा धन बताया गया है. जो लोग कभी संतुष्ट नहीं रहते और हमेशा अधिक पाने की चाह रखते हैं, वे अपने पास की खुशियां भी खो देते हैं. लालच इंसान को गलत राह पर ले जाता है और अंत में वह धन और शांति दोनों गंवा बैठता है.
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- शिक्षा और ज्ञान की कमी भी इंसान को पीछे धकेल देती है. जो लोग पढ़ाई या सीखने में रुचि नहीं रखते, वे जीवन में गलत फैसले करते हैं और प्रगति से वंचित रह जाते हैं. ज्ञान ही सही दिशा दिखाने का सबसे मजबूत आधार है.
- विदुर नीति के अनुसार, जो लोग हर काम में दूसरों पर निर्भर रहते हैं और खुद कोई प्रयास नहीं करते, वे कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पाते. ऐसे लोग जीवन भर दूसरों के सहारे जीते हैं और प्रगति से दूर रह जाते हैं.
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