Vidur Niti: महात्मा विदुर का नाम महाभारत के एक प्रेरक और असाधारण चरित्र के रूप में वर्णित है, जिन्होंने अपनी नीतिपरकता, धर्मनिष्ठा और प्रखर बुद्धि से इतिहास में विशिष्ट स्थान बनाया. एक दासी पुत्र के रूप में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने हस्तिनापुर के राजनैतिक क्षेत्र में अपनी सच्चाई और विवेकपूर्ण निर्णयों से सम्मान अर्जित किया. विदुर ने हमेशा धर्म को सत्ता, संबंधों और निजी हितों से ऊपर माना. उनका जीवन हमें सिखाता है कि कितनी भी कठिन परिस्थितियों में, सत्य और न्याय के मार्ग पर अटल रहना चाहिए. विदुर नीति आज भी हमें नैतिक जीवन, संयम और साहस के साथ जीने की प्रेरणा देती है, जो आधुनिक युग में भी उतनी ही सार्थक और उपयोगी है, जितनी द्वापरयुग में थी. विदुर नीति में उनकी और धृतराष्ट्र के बीच संवाद निहित है. इस ग्रंथ में महात्मा विदुर ने उत्तम पुरुष के गुणों के बारे में बात करते हैं. उनके अनुसार, जिस मनुष्य की सोच ऐसी रहती है, वह श्रेष्ठ पुरुष माना जाता है.
- महात्मा विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति सभी का कल्याण चाहता है, किसी का अहित नहीं सोचता और मन में भी किसी के अकल्याण का विचार नहीं लाता, वह सर्वश्रेष्ठ पुरुष है. ऐसा व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के लिए कार्य करता है और समाज में आदर्श स्थापित करता है. उसका चरित्र पवित्र और प्रेरणादायक होता है.

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- विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति सत्यवादी होता है, वह सर्वश्रेष्ठ पुरुष माना जाता है। सत्य बोलने वाला व्यक्ति विश्वास और सम्मान अर्जित करता है. उसका आचरण समाज के लिए प्रेरणादायक होता है. सत्य के मार्ग पर चलकर वह दूसरों का कल्याण करता है और अपने चरित्र को पवित्र रखता है. ऐसा पुरुष सदा आदर्श के रूप में पूजनीय होता है.

- विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति हृदय से कोमल और अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर चुका है, वह संसार का श्रेष्ठ पुरुष माना जाता है. ऐसा व्यक्ति करुणा और संयम का प्रतीक होता है. वह दूसरों के प्रति दयालु रहता है और आत्म-नियंत्रण से समाज में आदर्श स्थापित करता है. उसका चरित्र प्रेरणादायक और पवित्र होता है.

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