Vidur Niti: महात्मा विदुर, महाभारत के ऐसे विलक्षण चरित्र हैं, जिन्होंने नीति, धर्म और विवेक की मिसाल कायम की. एक दासीपुत्र होते हुए भी उन्होंने हस्तिनापुर की राजनीति में अपनी बुद्धिमत्ता और सत्यनिष्ठा से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया. विदुर ने हमेशा धर्म को रिश्तों, सत्ता और व्यक्तिगत लाभ से ऊपर रखा. उनका जीवन सिखाता है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, सही निर्णय लेने और सत्य के मार्ग पर अडिग रहने का साहस होना चाहिए. विदुर नीति आज भी हमें नैतिकता, न्याय और आत्मबल के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है. उनकी शिक्षाएं आधुनिक समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी वह उस युग में थीं. विदुर के पुरुषों को तीन श्रेणियों में बांटकर उनके भय का अलग-अलग बंटवारा करते हैं.
- महात्मा विदुर के अनुसार, अधम यानी नीच प्रवृत्ति के लोगों को सबसे बड़ा भय जीविका के अभाव का होता है. उनका ध्यान सिर्फ अपने भौतिक सुख-सुविधाओं और पेट भरने तक सीमित रहता है. ऐसे लोग धर्म, सत्य या नैतिक मूल्यों की चिंता नहीं करते, बल्कि केवल अपनी ज़रूरतों की पूर्ति को ही जीवन का लक्ष्य मानते हैं.
यह भी पढ़ें- विदुर के विचार जो बदल सकते हैं आपका नजरिया और जीवन
यह भी पढ़ें- विदुर नीति के 6 सूत्र- जो बनाते हैं इंसान को धरती पर भी सुखी
- विदुर नीति के अनुसार, मध्यम स्तर के पुरुषों को मृत्यु का भय सताता है. ऐसे लोग जीवन की अस्थिरता और अनिश्चितता को लेकर चिंतित रहते हैं. वे नैतिकता और धर्म का कुछ पालन तो करते हैं, लेकिन उनका मुख्य डर जीवन के अंत से जुड़ा होता है. मृत्यु की चिंता उन्हें आध्यात्मिक उन्नति से रोक सकती है.
- विदुर नीति के अनुसार, जो पुरुष उत्तम होते हैं, वे न तो जीविका के अभाव से डरते हैं और न ही मृत्यु से. उन्हें केवल अपमान का भय होता है. ऐसे श्रेष्ठ पुरुष सम्मान, आत्मगौरव और नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि मानते हैं. उनके लिए अपमान ही सबसे बड़ा कष्ट होता है, क्योंकि वह उनके चरित्र और सिद्धांतों को ठेस पहुंचाता है.
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: तरक्की चाहिए तो इन 6 आदतों से फौरन बना लें दूरी
Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.