Parenting Tips: आज के समय में बच्चों से अपनी बातें मनवाना हर पैरेंट के लिए किसी चुनौती से कम नहीं. हर पैरेंट की यह चाहत होती है कि उनका बच्चा जीवन में आगे चलकर समझदार, सफल और एक डिसिप्लिंड इंसान बनें. कई बार बच्चों से अपनी बातें मनवाने या फिर उन्हें डिसिप्लिन सिखाने के लिए पैरेंट्स उनपर हाथ भी उठा देते हैं. बता दें बच्चों पर बार-बार हाथ उठाना उन्हें जिद्दी बना सकता है और कई बार उनके बिगड़ने का कारण भी बनता है. अगर आपके घर पर छोटे बच्चे हैं और आप चाहते हैं कि वे बिना किसी शैतानी किये आपकी बातों को माने तो एक्सपर्ट्स के बताये इन ट्रिक्स को जरूर अपनाना चाहिए. जब आप इन ट्रिक्स को अपनाना शुरू करते हैं तो कुछ ही समय में आपके बच्चे समझदार और डिसिप्लिंड बन जाते हैं.
अच्छे कामों की सराहना करें
अगर आप एक ऐसे पैरेंट हैं जो सिर्फ अपने बच्चे को गलत काम करने पर टोकते हैं तो बता दें यह अच्छी पैरेंटिंग नहीं है. एक अच्छा पैरेंट बनने के लिए आपको अपने बच्चे के अच्छे कामों की भी तारीफ करनी आनी चाहिए. इसे पॉजिटिव एनफोर्समेंट कहा जाता है और इस ट्रिक को अपनाकर आप अपने बच्चे को ज्यादा कॉन्फिडेंट बनने में और जीवन में बेहतर काम करने में मदद कर सकते हैं. अगर आपका बच्चा कुछ भी अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ करें और उसे रिवॉर्ड भी दें.
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चीजों को समझाने का आसान तरीका अपनाएं
एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर आपका बच्चा बातें नहीं मानता, जिद करता रहता है या फिर नियमों को तोड़ता है तो आपको उन्हें टाइम आउट का मौका देना चाहिए. टाइम आउट का मतलब यह होता है कि जब आपका बच्चा कोई शैतानी करे या फिर गलत बर्ताव करे तो उन्हें किसी ऐसी जगह पर अकेले बैठाकर छोड़ दें जहां पर उनके करने लायक कुछ भी न हों और वे बोर होरे रहें. जब आप ऐसा करते हैं तो आपके बच्चे को समझ में आ जाएगा कि गलत बर्ताव करने से उनके साथ फिर से ऐसा हो सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार आपके बच्चे की उम्र जितनी है उतने मिनट आपको उसे अकेले बैठाकर छोड़ देना है. अगर आपके बच्चे की उम्र 5 साल है तो आपको उसे 5 मिनट के लिए टाइम आउट में भेज देना होगा. जब यह समय पार हो जाए तो आपको अपने बच्चे के साथ प्यार से बात करनी चाहिए और आसान शब्दों में उन्हें यह समझाना चाहिए कि आखिर उन्हें ऐसा दोबारा क्यों नहीं करना चाहिए.
बच्चों को जिम्मेदार बनाना या जिम्मेदारी सिखाना
अक्सर ऐसा होता है की बच्चे अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं और उन्हें समय रहते पूरा भी नहीं करते हैं. उदाहरण के लिए होमवर्क न करना या फिर अपनी चीजों को बिखराकर छोड़ देना. अगर आपके बच्चे की भी यह आदत है तो आपको उन्हें डांटना नहीं बल्कि लॉजिकल कॉन्सिक्विंसेस का रास्ता अपनाना चाहिए. अगर आपके बच्चे अपने कामों से दूर भागता है या फिर नहीं करता है तो ऐसे में आपको उन्हें टीवी भी नहीं देखने देना चाहिए. केवल यहीं नहीं, अगर आपका बच्चा अपने कमरे को गंदा करता है तो उसे ही कमरे की सफाई करने को कहें. जब आप ऐसा करते हैं तो वह धीरे-धीरे जिम्मेदारी सीखता है.
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