Parenting Tips: हर माता-पिता अक्सर इस समस्या का सामना करते हैं कि बच्चे वही काम करने लगते हैं जिसे करने से उन्हें मना किया जाता है. अगर आप बच्चे से कहते हैं कि मोबाइल मत छुओ, तो उनका ध्यान तुरंत उसी पर चला जाता है. अगर कहते हैं कि बाहर मत जाओ, तो वे ज्यादा बाहर जाने की जिद करने लग जाते हैं. यह स्थिति पेरेंट्स के लिए काफी परेशान करने वाला और थकाने वाला हो सकता है. लेकिन असल में ऐसा होना बच्चों की फितरत और उनके दिमाग के काम करने के तरीके से जुड़ा है. जब हम बच्चों को रोकते हैं, तो उनके मन में उस काम के प्रति क्यूरियोसिटी और अट्रैक्शन और बढ़ जाता है. चलिए जानते हैं इसके पीछे की असली वजह और पेरेंट्स इस हालात में क्या कर सकते हैं.
मना करने से बढ़ती है क्यूरियोसिटी
जब हम बच्चों को किसी चीज से रोकते हैं, तो उनके मन में तुरंत क्यूरियोसिटी पैदा हो जाती है. उन्हें लगता है कि अगर मना किया जा रहा है तो जरूर उसमें कुछ खास या मजेदार है. यही सोच उन्हें उस काम को करने की ओर और ज्यादा खींचती है.
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पेरेंट्स की चुप्पी और सख्ती
अक्सर पेरेंट्स बच्चों को केवल ‘नहीं करना’ कहकर रोक देते हैं, लेकिन यह नहीं बताते कि क्यों नहीं करना चाहिए. बच्चे जब कारण नहीं समझते तो वे मना किये जाने को चैलेंज समझ लेते हैं. कई बार सख्ती बच्चों को और ज्यादा रिएक्टिव बना देती है और वे जानबूझकर वही करने लगते हैं.
रिवर्स साइकोलॉजी का असर
साइकोलॉजी के अनुसार, जब बच्चों को किसी चीज से रोका जाता है, तो उनका दिमाग इसे आजादी छीनना समझता है. उन्हें लगता है कि उनकी आजादी छीनी जा रही है. ऐसे में वे बैरियर्स को तोड़ने की कोशिश करते हैं ताकि खुद को आजाद साबित कर सकें.
ध्यान खींचने की कोशिश
कई बार बच्चे केवल अपने पेरेंट्स का ध्यान खींचने के लिए भी वही काम करते हैं जिसे करने से मना किया जाता है. अगर बच्चा देखता है कि मना की गई चीज करने पर उसे इंस्टैंट रिएक्शन मिलता है, तो वह बार-बार वही दोहराता है.
पेरेंट्स क्या करें?
अगर आपके घर पर छोटे बच्चे हैं तो उसे सिर्फ “मत करो” कहने के बजाय बच्चों को आसान भाषा में ऐसा न करने के पीछे का कारण भी बताएं. इसके अलावा अगर किसी चीज से रोक रहे हैं तो उसके दूसरे ऑप्शंस भी सुझाएं. उदहारण के लिए मोबाइल मत चलाओ, चलो कोई गेम खेलते हैं. एक पैरेंट होने के नाते आपका यह फर्ज बनता है कि हर चीज पर रोक लगाने के बजाय बच्चों को कुछ हद तक खुद सीखने दें. अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें गुस्से या सख्ती से बच्चों का व्यवहार और जिद्दी हो सकता है. बच्चों को शांत रहकर समझाना ज्यादा असरदार होता है.
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