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Parenting Tips: पैरेंट्स की असफलता बच्चों के लिए कैसे बनती है सक्सेस का लेसन? जानें सबसे बड़ी पैरेंटिंग हैक

Parenting Tips: अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे जीवन में आगे चलकर काफी ज्यादा सफल इंसान बने तो ऐसे में आपको उनके साथ अपने फेल्योर की कहानियां जरूर शेयर करनी चाहिए. जब आप ऐसा करते हैं तो आपके बच्चे को कई तरह के फायदे होते हैं.

Parenting Tips: हर पैरेंट की यह चाहत होती है कि उनका बच्चा सक्सेसफुल, कॉन्फिडेंट हो और जिंदगी में कभी किसी मुश्किल से न डरे. लेकिन अक्सर बच्चे अपनी छोटी-छोटी असफलताओं से दुखी होकर हिम्मत हार जाते हैं. ऐसे में पैरेंट्स की भूमिका बेहद खास हो जाती है. बता दें बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने पेरेंट्स से देखते और सुनते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार यहीं एक मुख्य कारण है कि पैरेंट्स को अपने बच्चों के सामने अपनी सक्सेस के साथ-साथ फेल्योर की कहानियां शेयर करना भी बहुत जरूरी है. इससे उन्हें न केवल जीवन की असलियत समझ आती है बल्कि आगे बढ़ने का कॉन्फिडेंस भी मिलता है.

बच्चे सीखते हैं फेल्योर से निपटना

जब पेरेंट्स बच्चों को अपनी फेल्योर स्टोरी सुनाते हैं तो बच्चे समझते हैं कि जीवन में असफल होना कोई बुरी बात नहीं है. हर इंसान की जिंदगी में ऐसे मौके आते हैं जब मेहनत करने के बाद भी रिजल्ट उम्मीद के अनुसार नहीं मिलते. यह जानकर बच्चे अपनी नाकामियाबियों से डरने की बजाय उन्हें एक्सेप्ट करना और उनसे सीखना सीखते हैं.

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कॉन्फिडेंस बढ़ता है

अगर बच्चा देखता है कि उसके पेरेंट्स भी कभी फेल हुए थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज सफल हैं, तो उसका कॉन्फिडेंस कई गुना बढ़ जाता है. वह समझता है कि गिरना और उठना जीवन का हिस्सा है. इससे बच्चे हार मानने की जगह पर बार-बार जीतने की कोशिश करना सीखते हैं.

परफेक्ट इमेज का प्रेशर नहीं रहता

अक्सर बच्चे सोचते हैं कि उनके पेरेंट्स हमेशा परफेक्ट रहे होंगे और कभी गलती नहीं की होगी. लेकिन जब आप अपनी गलतियां और असफल होने की कहानियां बताते हैं तो बच्चे को यह समझ आता है कि इंसान से गलती होना एक आम बात है. इससे उसके दिमाग पर परफेक्ट बनने का प्रेशर कम होता है और वह बिना डरे चीजें सीखने और जीवन में आगे बढ़ने पर अपना फोकस शिफ्ट करते हैं.

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रिश्ते में आती है ट्रांसपैरेंसी

बच्चों से अपनी फेल्योर स्टोरी शेयर करने से पेरेंट्स और बच्चों के बीच एक डीप कनेक्शन बनता है. बच्चे को अंदर ही अंदर ऐसा लगता है कि उसके माता-पिता भी उसी के जैसे हैं. यह ट्रांसपैरेंसी बच्चों को अपने डर, फेल्योर और प्रॉब्लम्स को बिना झिझक शेयर करने के लिए मोटिवेट करता है.

बच्चों को मिलता है मोटिवेशन

पैरेंट्स की फेल्योर की कहानियां बच्चों के लिए मोटिवेशन का काम करती हैं. जब आप अपनी कहानियां बच्चों के साथ शेयर करते हैं तो वह सोचता है कि अगर मेरे पापा/मम्मी मुश्किल हालात में भी हार नहीं माने, तो मुझे भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. यह थिंकिंग उन्हें स्ट्रॉन्ग बनाती है और जीवन में आने वाले चैलेंजेस से निपटने की ताकत देता है.

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Saurabh Poddar
Saurabh Poddar
Digital Media Journalist having more than 2 years of experience in life & Style beat with a good eye for writing across various domains, such as tech and auto beat.

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