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Jitiya Special Madua Pua: जितिया में क्या है मड़ुआ पुआ का महत्व, जानिए इसके पीछे के खास कारण 

Jitiya Special Madua Pua: मडुआ पुआ केवल एक खाद्य पदार्थ से कहीं अधिक, सांस्कृतिक और पौष्टिक महत्व रखता है. यह क्षेत्रीय रीति-रिवाजों में गहराई से निहित है और कठिन उपवास के बाद पौष्टिक, स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री खाने के ज्ञान को दर्शाता है.

Jitiya Special Madua Pua: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है, बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में माताओं द्वारा मनाया जाने वाला एक पवित्र त्योहार है.  यह पारंपरिक व्रत संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए समर्पित है. इस दिन, महिलाएं अक्सर बिना अन्न या जल ग्रहण किए कठोर उपवास रखती हैं और अगले दिन विशिष्ट पारंपरिक खाद्य पदार्थों के साथ इसे तोड़ती हैं.  ऐसा ही एक विशेष व्यंजन है मडुआ पुआ, जो रागी के आटे और गुड़ से बना एक मीठा पकौड़ा है.  मडुआ पुआ केवल एक खाद्य पदार्थ से कहीं अधिक, सांस्कृतिक और पौष्टिक महत्व रखता है.  यह क्षेत्रीय रीति-रिवाजों में गहराई से निहित है और कठिन उपवास के बाद पौष्टिक, स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री खाने के ज्ञान को दर्शाता है.  इस आर्टिकल में, हम जानेंगे कि जितिया पर मडुआ पुआ क्यों खाया जाता है और आप इसे घर पर आसानी से कैसे बना सकते हैं. 

मड़ुआ पुआ बनाने के लिए सामग्री 

  • मडुआ (रागी/बाजरा) का आटा – 1 कप
  • गुड़ – 1/2 से 3/4 कप (स्वादानुसार)
  • पानी – आवश्यकतानुसार
  • सौंफ – 1 छोटा चम्मच
  • कद्दूकस किया हुआ नारियल या सूखे मेवे – (वैकल्पिक)
  • तेल या घी – तलने के लिए

बनाने की विधि

  • गुड़ को गुनगुने पानी में घोलें और छानकर अशुद्धियां निकाल दें. 
  • एक कटोरे में गुड़ के पानी के साथ मडुआ का आटा धीरे-धीरे मिलाएं ताकि एक गाढ़ा, चिकना घोल (पुए जैसा गाढ़ापन) बन जाए. 
  • सौंफ और कसा हुआ नारियल/सूखे मेवे (अगर इस्तेमाल कर रहे हों) डालें. 
  • एक कड़ाही में तेल या घी गरम करें. 
  • गरम तेल में चम्मच भर घोल डालें और दोनों तरफ से सुनहरा भूरा होने तक तल लें. 
  • अतिरिक्त तेल निकालने के लिए इसे निकालकर पेपर टॉवल पर रखें. 

क्यों खाया जाता है मड़ुआ पुआ 

मडुआ पुआ खाने के कुछ सांस्कृतिक और व्यावहारिक कारण हैं:

  • उपवास परंपरा:

जीवितपुत्रिका व्रत (जितिया) पर, महिलाएं कठोर उपवास रखती हैं—कभी-कभी बिना जल (निर्जला) के.  व्रत तोड़ने के बाद, आसानी से पचने वाले, ऊर्जा से भरपूर और पारंपरिक खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं, और मडुआ पुआ उनमें से एक है. 

  • पोषण मूल्य:

मडुआ (रागी/बाजरा) आयरन, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर होता है.  यह दिन भर के उपवास के बाद ऊर्जा और पोषक तत्वों की पूर्ति करता है. 

  • सांस्कृतिक मान्यता:

ऐसा माना जाता है कि जितिया व्रत के बाद मडुआ पुआ खाने से देवता प्रसन्न होते हैं और बच्चों के स्वास्थ्य और समृद्धि की गारंटी होती है. 

  • स्थानीय उपलब्धता:

मडुआ बिहार और झारखंड में स्थानीय रूप से उगाया जाने वाला बाजरा है.  इसका उपयोग क्षेत्रीय खाद्य परंपराओं और मौसमी ज्ञान को दर्शाता है. 

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Prerna
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"As a passionate lifestyle journalist, I specialize in capturing the essence of everyday living — from wellness trends and fashion insights to food, travel, and culture. With a keen eye for detail and a love for storytelling, I strive to bring inspiring, informative, and engaging content that connects with readers on a personal level. My goal is to explore how lifestyle choices shape our identity and influence the world around us, one story at a time.

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