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यूरोपियन चर्च की तर्ज पर बना है नवाडीह का चर्च, बेल्जियम से आये थे पेंटिंग व खिड़की के लिए कांच

christmas countdown 2020, Jharkhand news, Gumla news, गुमला : गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड के नवाडीह पल्ली का इतिहास उस अतीत और सुदूर घटना क्रम से जुड़ा है, जिसे सहज से नहीं देखा जा सकता है. वह है बंगाल मिशन और 28 नवंबर, 1859 की तिथि. जब 4 बेल्जियम और 3 अंग्रेज यीशु संघियों का पदार्पण कलकत्ता में हुआ था. कलकत्ता उपधर्मप्रांत बहुत विस्तृत था. संपूर्ण पश्चिम बंगाल, छोटानागपुर का भाग और ओड़िशा तक फैला था. इस क्षेत्र में फादर लीवंस के आगमन के बाद साहूकार, जमींदारी प्रथा, लगान प्रथा के खिलाफ उलगुलान चालू किया. उसके बाद क्षेत्र में फादर लीवंस ने सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कार्य किये. उन्हीं के प्रयास के बाद चर्च का स्थापना संभव हो पाया.

christmas countdown 2020, Jharkhand news, Gumla news, गुमला : गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड के नवाडीह पल्ली का इतिहास उस अतीत और सुदूर घटना क्रम से जुड़ा है, जिसे सहज से नहीं देखा जा सकता है. वह है बंगाल मिशन और 28 नवंबर, 1859 की तिथि. जब 4 बेल्जियम और 3 अंग्रेज यीशु संघियों का पदार्पण कलकत्ता में हुआ था. कलकत्ता उपधर्मप्रांत बहुत विस्तृत था. संपूर्ण पश्चिम बंगाल, छोटानागपुर का भाग और ओड़िशा तक फैला था. इस क्षेत्र में फादर लीवंस के आगमन के बाद साहूकार, जमींदारी प्रथा, लगान प्रथा के खिलाफ उलगुलान चालू किया. उसके बाद क्षेत्र में फादर लीवंस ने सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक कार्य किये. उन्हीं के प्रयास के बाद चर्च का स्थापना संभव हो पाया.

बरवे क्षेत्र में चर्च निर्माण में फादर लीवंस का बहुत बड़ा योगदान रहा है. बरवे क्षेत्र में सबसे पहले वर्ष 1893 में कटकाही पल्ली, 8 मई 1901 को टोंगो पल्ली और वर्ष 1907 को नवाडीह पल्ली का स्थापना किया गया. नवाडीह के अंतर्गत 12 छोटे- छोटे चर्च आते हैं. नवाडीह पल्ली के स्थापना काल वर्ष 1907-2020 तक 23 पुरोहितों ने अपना योगदान दिया है. अभी पल्ली पुरोहित के रूप में फादर पात्रिक खलखो कार्यरत हैं.

चर्च की दीवार ईंट की चूर, चूना व उड़द की दाल के मिश्रण से बना है

बुजुर्ग ब्लासियुस मिंज ने चर्च की महत्ता के बारे में बताया कि ब्रिटिश शासन काल (वर्ष 1907) में नवाडीह चर्च भवन बना है. यह चर्च यूरोप के चर्च के स्वरूप में बनाया गया है. उस समय क्षेत्र की जनता भूत-प्रेत, डायन-बिसाही एवं अंधविश्वास से त्रस्त थी. क्षेत्र में कैथोलिक लोगों की संख्या अधिक थी. उस समय फादर लिवंस का डेरा बेर्री गांव में रहता था.

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उन्होंने क्षेत्र के लोगों को भूत- प्रेत, डायन- बिसाही और अंधविश्वास से बचने के लिए उपवास (चर्च) भवन निर्माण की विचार किया. उन्हीं की चेतना से बरवे क्षेत्र में कटकाही, टोंगो और नवाडीह चर्च का निर्माण किया गया. आगे उन्होंने बताया कि पहले कॉन्वेट खेल मैदान में एक खपरैल चर्च था. उसके चर्च के टूटने के बाद बेल्जियम से आये फादर मेसर्स ने यूरोप चर्च के नक्शे पर यह चर्च बनावाया.

उस समय चर्च मात्र 11 हजार रुपये की लागत में बनकर तैयार हो गया. चर्च की खिड़की में लगे कांच और पेंटिंग सहित अन्य सामग्री बेल्जियम मंगाये गये थे. चर्च एवं फादर हाउस की दीवार की जोड़ाई सीमेंट के जगह ईंट की चूर, चूना (सुरखी) और उड़द की दाल के मिश्रण से किया गया है. उस समय नवाडीह चर्च कटकाही से संचालित होता था.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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