फ़िल्म-ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत
निर्देशक- अनुराग कश्यप
कलाकार – अलाया एफ, करन मेहता, विक्की कौशल और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- दो
एक फिल्ममेकर के तौर पर निर्देशक अनुराग कश्यप का अंदाज हमेशा अलहदा रहा है. वह अपनी फिल्मों में कुछ अलग प्रयोग करने की कोशिश हमेशा करते रहते हैं, लेकिन बीते कुछ समय से वह कुछ अलग नजरिए को उस प्रभावी ढंग से नहीं रख पाए हैं, जैसे उनसे उम्मीद रहती है. ऑलमोस्ट प्यार विथ डीजे मोहब्बत से प्यार के एक अलग नजरिए को रखने की उम्मीद थी. वह इस फिल्म के जरिए पितृसत्ता समाज के खिलाफ पनपी प्रेम कहानियों को बताने के सफर में निकलते तो हैं, लेकिन फिर खुद ही रास्ता भटक गए हैं.
फिल्म की कहानी दो अलग-अलग लैंडस्केप में चलती है. एक कहानी भारत के डलहौजी में अमृता (अलाया) और याकूब (करन मेहता) की है. एक कहानी लंदन में आयशा (अलाया) और हरमीत (करन मेहता) की है. अमृता डीजे मोहब्बत (विक्की कौशल) की दीवानी है. उसके एक कॉन्सर्ट में शरीक होने होने के लिए वह याकूब के साथ घर से भाग जाती है और यहां कहानी लव जिहाद तक पहुंच जाती है. लंदन वाली प्रेम कहानी में हरमीत खुद एक संघर्षरत म्यूजिशियन है और वह म्यूजिक में बड़ा नाम बनाना चाहता है, लेकिन आयशा उसकी जिंदगी में आ जाती है और उसकी जिंदगी एक अलग ही मोड़ पर चली जाती है. इन दोनों ही प्रेमकहानियों में पितृसत्ता समाज उनके खिलाफ हैं. पितृसत्ता समाज इनदोनों प्रेम कहानियों को कहाँ ले जाता है. यही आगे की कहानी है.अनुराग कश्यप ने अपनी इस फिल्म में बहुत कुछ एक साथ कहने की कोशिश कर दी है. इस प्रेम कहानी में पितृसत्ता, लव जिहाद, धर्म को लेकर जूनून, माता पिता की अपने बच्चों के लिए फैसले लेने की मनमानी बहुत कुछ एक साथ शामिल कर लिया है और फिल्म किसी एक विषय के साथ ठीक से न्याय नहीं कर पाते हैं. फिल्म के अंत की तरह सबकुछ अधूरा -अधूरा सा लगता है.
अभिनय की बात करें तो फिल्म में अलाया एफ और करन मेहता की भूमिका दोहरी है. अलाया एफ ने दोनों ही भूमिकाओं के साथ न्याय किया है. करन याकूब के किरदार में थोड़ा कमतर रह गए हैं. हालांकि पहली फिल्म के लिहाज से वह उम्मीद जरूर जगाते हैं.. विक्की कौशल अपनी भूमिका को दिलचस्प अंदाज में निभा गए हैं. बाकी के किरदारों का काम कहानी के अनुरूप है.
फिल्म से जुड़ी खूबियों की बात करें फिल्म के संवाद उम्दा है. वह सवाल उठाते हैं और दिल को सुकून भी पहुंचाते हैं. याक़ूब का किरदार कहता है कि कितना अच्छा होता कि हम बड़े होकर अपना धर्म खुद से चुन सकते हैं. डीजे मोहब्बत के तौर पर विक्की के संवाद दिलचस्प बनें हैं. फिल्म के संवाद की तरह इसका संगीत भी इसकी खासियत है.अमित त्रिवेदी का संगीत फिल्म में एक अलग ही रंग भरता है. मोहब्बत से क्रांति आएगी, दुनिया जैसे गाने याद रह जाते हैं.
अगर आप अनुराग कश्यप के बहुत बड़े वाले फैन हैं, तो ही यह फिल्म आपको पसंद आएगी.