‘मुगल-ए-आज़म’ की अनारकली यानी मधुबाला का जन्मदिन है. उनका जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था. मधुबाला ने अपने अभिनय से हिंदी सिनेमा के आकाश पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि आज भी कई अभिनेत्रियां उन्हें अपना रोल मॉडल मानती हैं. महज 36 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़ जानेवाली मधुबाला आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं.
मधुबाला की जीवनयात्रा अविस्मरणीय रही है. ऐसा कहा जाता है कि एक ज्योतिष ने उनके माता-पिता से पहले ही कह दिया था कि मुमताज अत्यधिक ख्याति और संपत्ति अर्जित करेगी, लेकिन जीवन दुखमय होगा.
एक वक्त था जब मधुबाला और दिलीप कुमार के इश्क के किस्से बॉलीवुड गलियारों में हुआ करते थे. दोनों हमेशा के लिए एकदूसरे के हो जाना चाहते थे लेकिन दिलीप कुमार की एक शर्त ने दोनों की राहें अलग कर दी…
मधुबाला को पहली बार हीरोईन बनाया डायरेक्टर केदार शर्मा ने. फिल्म ‘राजकमल’ में राजकपूर उनके हीरो बनें. इस फिल्म के बाद से ही ‘सिनेमा की सौन्दर्य देवी’ (Venus Of The Screen) कहा जाने लगा. लेकिन उन्हें बड़ी सफलता फिल्म ‘महल’ से मिली. इस फिल्म में अशोक कुमार उनके नायक थे. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी.
लेकिन इसी दौरान एक ऐसा वक्त आया जब उनका दिल उन्हें दगा दे बैठा. हम बात कर रहे हैं दिलीप कुमार और मधुबाला की मोहब्बत की. दोनों के प्यार की शुरुआत एक गुलाब के फूल से हुई, लेकिन इस मोहब्बत के फूल में दोनों के लिए कांटे भी बहुत थे.
साल 1951 में आई फिल्म में दिलीप कुमार और मधुबाला ने फिल्म ‘तराना’ ने एक साथ काम किया था. मधबाला दिल ही दिल में दिलीप कुमार से प्यार करने लगी थीं लेकिन इसका तनिक भी अंदाजा दिलीप कुमार को न था. शूटिंग के दौरान की मधुबाला ने अपने प्यार का इजहार अनोखे अंदाज में कर दिया. दरअसल उन्होंने अपने करीबी मेकअप आर्टिस्ट के हाथों दिलीप कुमार को एक खत भेजा, जिसमें लाल गुलाब भी था.
उर्दू में लिखे गये इस खत में मधुबाला ने लिखा था, ‘अगर आप मुझे चाहते हैं तो ये गुलाब कबूल फरमाइए…वरना इसे वापस कर दीजिये.’ मधुबाला की मोहब्बत के पैगाम को दिलीप कुमार ने खुशी-खुशी कबूल कर लिया और फिल्म ‘तराना’ के शूटिंग सेट्स से दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. लेकिन दोनों को इस बात की खबर न थी इन प्यार की राहों में आगे ढेरों कांटें हैं.
दरअसल मधुबाला की कमाई से ही उनके पूरे घर का खर्च चलता था, इसलिए उनके पिता चाहते थे कि मधुबाला किसी भी प्यार में पड़ें. लेकिन एक दूसरे के इश्क़ में गिरफ्त दिलीप कुमार और मधुबाला मिलने का कोई ना कोई तरीका ढूंढ ही लेते थे. कहा जाता है कि फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग के दौरान जब दिलीप कुमार की शूटिंग नहीं भी होती थी तो भी वे मधुबाला से मिलने के लिए फिल्म के सेट पर आ जाया करते थे.
सेट पर वे चुपचाप खड़े होकर मधुबाला को देखते थे. भले ही उनकी ज़ुबान खामोश रहती लेकिन आंखों ही आंखों में सारी बातें हो जाया करती थीं. दिलीप कुमार, मधुबाला को अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहते थे. उन्होंने जल्द ही अपनी बहन सकीना को शादी का पैगाम लेकर मधुबाला के घर भेजा. उन्होंने कहा कि अगर मुधबाला के पिता तैयार हो जायें, तो वे सात दिन बाद मधुबाला से शादी करना चाहते थे. लेकिन मधुबाला के पिता लेकिन अताउल्ला खान ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया. मधुबाला, दिलीप कुमार और अपने पिता दोनों से बेहद प्यार करती थीं.
फिल्म ‘ढाके की मलमल’ की शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार ने अभिनेता ओम प्रकाश के सामने मधुबाला से कहा, वो आज ही उनसे शादी करना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके घर पर एक क़ाज़ी मौजूद है, वे चाहते थे कि मधुबाला फौरान उनके साथ चले. लेकिन इसके साथ ही दिलीप कुमार ने मधुबाला के सामने एक शर्त भी रख दी. शर्त थी कि शादी के बाद मधुबाला को अपने पिता से सारे रिश्ते तोड़ने होंगे. उनके मुंह से यह बात सुनकर मधुबाला खामोश हो गई.
मधुबाला की खमोशी को देखकर दिलीप कुमार ने गुस्से में कहा, अगर आज मैं यहां से अकेले गया तो फिर लौटकर तुम्हारे पास वापस नहीं आउंगा. मधुबाला फिर भी चुप रहीं और आखिरकार दिलीप कुमार वहां से उठकर चले गये, उस कमरे से भी और मधुबाला की जिंदगी से भी. यही दोनों की प्रेम कहानी का अंत था.