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जन्‍मदिन विशेष: जब ”शोले” का क्‍लाईमेक्‍स बदलने के लिए तैयार हो गये थे रमेश सिप्‍पी

रमेश सिप्‍पी को ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍म ‘शोले’ के निर्देशक के तौर पर जाना जाता है. रमेश सिप्‍पी का जन्‍म 23 जनवरी 1947 को हुआ था. उनके पिता जी.पी सिप्‍पी भी एक जानेमाने प्रोड्यूसर और डायरेक्‍टर थे. रमेश सिप्‍पी ने अपने करियर कर शुरुआत मात्र 9 साल से की थी, जब साल 1953 की फिल्‍म ‘शहंशाह’ में […]

रमेश सिप्‍पी को ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍म ‘शोले’ के निर्देशक के तौर पर जाना जाता है. रमेश सिप्‍पी का जन्‍म 23 जनवरी 1947 को हुआ था. उनके पिता जी.पी सिप्‍पी भी एक जानेमाने प्रोड्यूसर और डायरेक्‍टर थे. रमेश सिप्‍पी ने अपने करियर कर शुरुआत मात्र 9 साल से की थी, जब साल 1953 की फिल्‍म ‘शहंशाह’ में अचला सचदेव के बेटे का किरदार निभाया था. जानें रमेश सिप्‍पी के बारे में ये खास बातें…

रमेश सिप्‍पी ने शान और सीता और गीता जैसी हिट फिल्‍में भी बनाई हैं. रमेश सिप्‍पी ने अपने इंटरव्यू में ‘शोले’ से जुड़ी कई दिलचस्‍प बातें शेयर की है. साल पहले रमेश सिप्पी ‘सीआईआई बीग पिक्चर समिट 2016′ में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्‍होंने बताया था, मैं भाग्‍यशाली था कि शोले बनाने के दौरान मेरे पिताजी मेरे साथ थे. मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं इसे बना सकूं. उस समय यह सिर्फ 3 करोड़ में बनी थी.’

रमेश सिप्‍पी बताते हैं,’ मुझे याद है जब दिलीप कुमार ने एक फिल्‍म के लिए एक लाख रुपये की फीस ली तो हर किसी ने यही कहा कि फिल्‍म इंडस्‍ट्री बंद होनेवाली है. उस समय शोले बनाने के लिए मेरे पास पर्याप्‍त बजट नहीं था. मेरे पास कुछ विचार थे जिसे मैंने अपने पिता से शेयर किया था.’

उन्‍होंने बताया था,’ शोले बनाने में कुल खर्च तीन करोड़ रुपये आया था और स्‍टार कास्‍ट कर फीस मात्र 20 लाख रुपये. आज के समय में अगर आप 150 करोड़ रुपये की फिल्‍म बनाते हैं तो उसमें से 100 करोड़ रुपये तो स्‍टार कास्‍ट में ही लग जाते हैं. आज का फिल्‍म निर्माण व्‍यवसाय एकतरफा हो गया था.’ बता दें कि आज यदि शोले बनती तो इसका बजट 150 करोड़ रुपए होता.

ऐसा वक्‍त भी आया था जब ‘शोले’ के रिलीज के दो दिन बाद ही रमेश सिप्‍पी ने इसका क्‍लाइमेक्‍स बदलने का फैसला कर लिया था. जब ‘शोले’ रिलीज हुई तो शुक्रवार और शनिवार को बॉक्‍स ऑफिस पर य‍ह फिल्‍म कमाई के मामले में पूरी तरह से असफल रही थी. भारी बजट की भव्‍य फिल्‍म का यह हाल देख रिलीज के दो दिन बाद ही रविवार को रमेश सिप्‍पी ने अपने घर में मीटिंग बुलाई.

इस मीटिंग में लेखक सलीम-जावेद को भी बुलाया गया था. फिल्‍म के कमजोर प्रदर्शन का यह अर्थ निकाला गया कि शायद अंत में अमिताभ के किरदार की मौत को दर्शक पसंद नहीं कर रहे हैं. ऐसे में फिल्‍म का क्‍लाइमेक्‍स बदलने के लिए रमेश सिप्‍पी तैयार हो गये थे. सिप्‍पी ने नयी एंडिंग की शूटिंग भी की. लेकिन शायद फिल्‍म के इतिहास को कुछ और ही मंजूर था. दो दिन के बाद फिल्‍म का प्रदर्शन बॉक्‍स ऑफिस पर सुधर गया और फिर बेहतर होता चला गया.

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