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निजी जिंदगी में भी एक सशक्त स्त्री हूं: आकांक्षा पुरी

मधुर भंडारकर की फिल्म ‘कैलेंडर गर्ल’ में नजर आयी आकांक्षा पुरी अब टीवी पर एंट्री लेने जा रही हैं. वह धारावाहिक ‘विघ्नहर्ता गणेश’ में पार्वती के किरदार में दिखनेवाली हैं. पौराणिक शोज के लोकप्रिय ट्रेंड की वजह से पहले भी कई अभिनेत्रियां पार्वती के किरदार को निभा चुकी हैं, लेकिन आकांक्षा इससे बेफिक्र हैं. वह […]

मधुर भंडारकर की फिल्म ‘कैलेंडर गर्ल’ में नजर आयी आकांक्षा पुरी अब टीवी पर एंट्री लेने जा रही हैं. वह धारावाहिक ‘विघ्नहर्ता गणेश’ में पार्वती के किरदार में दिखनेवाली हैं. पौराणिक शोज के लोकप्रिय ट्रेंड की वजह से पहले भी कई अभिनेत्रियां पार्वती के किरदार को निभा चुकी हैं, लेकिन आकांक्षा इससे बेफिक्र हैं. वह कहती हैं मैंने अपने किरदार पर बहुत मेहनत की. सभी को मेरा अभिनय पसंद आयेगा, इसकी मुझे पूरी उम्मीद है. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

फिल्मों से टीवी में आने का फैसला कैसे लिया?
कुछ सालों में टीवी के प्रति लोगों का नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. अब टीवी की पहुंच फिल्मों की तुलना में ज़्यादा है, तो ऐसे माध्यम से कौन नहीं जुड़ना चाहेगा. वैसे ‘विघ्नहर्ता गणेश’ से पहले, मुझे दूसरे शो के लिए भी फोन आये थे. लेकिन मुझे इस शो का कांसेप्ट ज्यादा पसंद आया. चूंकि मैं एक कलाकार हूं, तो निश्चित रूप से देखती हूं कि किसी भी शो में मेरी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. अगर महत्वपूर्ण भूमिका मिले और कुछ अलग हो, तो मैं ‘सास बहू’ शोज भी करने को तैयार हूं.

इस शो से जुड़ने का संयोग कैसे बना?

मुझे कास्टिंग टीम से फोन आया था कि उन्हें पार्वती का किरदार निभाने के लिए किसी की ज़रूरत है. मुझे तो यकीं ही नहीं हुआ. मुझे लगता है यह किरदार हर एक्टर की ख्वाहिश होता है. कभी आप रौद्र रूप लेकर काली बन जाती हैं, तो कभी दुर्गा का रूप का धारण कर लेते हो, तो कभी पार्वती. मैं प्रोड्यूसर के ऑफिस में मीटिंग के लिए पहुंच गयी. पहली मीटिंग बहुत अच्छी रही, फिर मुझे लुक टेस्ट देना था. मैंने सुन रखा था कि पांच महीने से वो लोग पार्वती के रोल के लिए एक्टर की तलाश कर रहे थे. लेकिन मैं जब लुक टेस्ट देकर वापस लौट रही थी, तो यकीन हो चला था कि यह किरदार तो मैं ही कर रही हूं. ऐसा ही हुआ. भारी-भरकम गहने और कॉस्ट्यूम पहनकर 12 घंटे की शूटिंग आसान नहीं होती है, लेकिन मैं बहुत एंज्वॉय कर रही हूं.

पार्वती के किरदार के लिए कुछ होमवर्क भी करना पड़ा?
हां, होमवर्क ज़रूरी था. यह एक पौराणिक शो है, इसलिए मैंने वर्कशॉप किया. मैं इंदौर और भोपाल से आती हूं, इसलिए मेरी हिंदी अच्छी है, फिर भी पौराणिक शो के लिए लैंग्वेज पर और काम किया. वॉयस डिक्शन से लेकर मॉडुलेशन, बॉडी लैंग्वेज तक खुद को परिपक्व बनाने के लिए काफी ग्रूमिंग सेशन से गुजरना पड़ा. इस शो के हर किरदार पर काफी डिटेलिंग हुई है. पार्वती का नेल कलर क्या होगा और उसके साइज क्या होने चाहिए, इन सब छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा गया है. सेट पर स्पेशल टीम है, जो सिर्फ भाषा और लुक पर ध्यान देती है.

आप निजी जिंदगी में खुद को किस तरह देखती हैं?
मैं काफी स्ट्रांग महिला रही हूं. शुरू से आत्मनिर्भर रही हूं. अपने माता-पिता से दूर अकेले ही रही हूं, इसलिए भावनात्मक ही नहीं, आर्थिक तौर पर भी मैंने खुद को संभाला है. मां पार्वती से अगर उनके पति और बेटे के बारे में कोई कुछ कह दे, तो वे दुर्गा का रूप धारण कर लेती हैं. वैसे ही अगर मेरे पापा-मम्मी या दोस्तों के बारे में कोई कुछ कह दे, तो मुझमें भी काली और दुर्गा मां आ जाती है.

फिल्म कैलेंडर गर्ल में आपका किरदार काफी बोल्ड था, जबकि टीवी पर आप एक धार्मिक किरदार में दिखने जा रही हैं?
आज का दर्शक बहुत स्मार्ट है. उन्हें अच्छे से पता है कि ये सब किरदार हैं. मैंने अपने आपको कहीं भी सीमित नहीं रखा है. कैलेंडर गर्ल के बाद मुझे वैसे ही ऑफर आ रहे थे, लेकिन मैं वही नहीं करना चाहती थी. मैं खुद को टाइपकास्ट नहीं होते देखना चाहती. यही वजह है कि मैं टीवी, फिल्म और वेब सब माध्यम के लिए ओपन हूं. जहां अच्छा मौका मिलेगा, वहां काम कर लूंगी. अब वह जमाना गया जब लोग टाइपकास्ट कर दिया करते थे.

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