DSP Anju Yadav Success Story: अंजू यादव राजस्थान पुलिस सेवा में डीएसपी पद पर कार्यरत हैं. उनकी यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि यदि मन में इच्छा और मेहनत करने का जज्बा हो, तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, इंसान अपने सपनों को जरूर पूरा कर सकता है. अंजू की कहानी (Success Story) उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो किसी न किसी कारण से अपने सपनों से समझौता कर लेती हैं.
DSP Anju Yadav Success Story: कौन हैं अंजू यादव?
हरियाणा के नारनौल जिले के छोटे से गांव धौलेड़ा में 1988 में जन्मी अंजू यादव एक साधारण किसान परिवार से आती हैं. उनके पिता लालाराम यादव खेती के साथ दुकान चलाते थे, जबकि मां गृहिणी थीं. चार बेटियों के पालन-पोषण में कई चुनौतियां थीं, लेकिन उनके माता-पिता ने कभी बेटियों को बेटों से कम नहीं समझा.इसी परवरिश ने अंजू को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाया.
सरकारी स्कूल से की थी पढ़ाई
गांव के सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने डिस्टेंस मोड से ग्रेजुएशन किया. करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की. अंजू ने अपनी मेहनत से तीन बार सरकारी टीचर की नौकरी हासिल की. 2016 में पहली बार मध्यप्रदेश के भिंड में जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाने लगीं. इसके बाद राजस्थान और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाया. दिल्ली में उन्होंने करीब पांच साल तक बच्चों को पढ़ाया. इस दौरान उन्होंने बेटे की परवरिश और नौकरी दोनों साथ में किया.
DSP बनने के बाद अंजू यादव
ऐसे बनीं डीएसपी
लंबे संघर्ष, कड़ी मेहनत और अटूट हौसले के बाद आखिरकार सितंबर 2025 में अंजू यादव का सपना सच हो गया. इसी महीने उनकी पासिंग परेड हुई, जिसके साथ उन्होंने राजस्थान पुलिस सेवा में डीएसपी (Deputy Superintendent of Police) के रूप में अपनी नई यात्रा की शुरुआत की. वर्दी पहनने का वह पल उनके लिए केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत, त्याग और धैर्य का परिणाम था.
21 साल में शादी, 24 में बनीं मां
21 साल की उम्र में अंजू की शादी हो गई और 24 साल में वो मां बनी. कम उम्र में ही उनके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां आ गईं. घर संभालना, परिवार का ख्याल रखना और बेटे की परवरिश- सब कुछ उन्हें ही करना था. ससुराल से मदद नहीं मिलने पर वो मायके लौट आईं. वहां भी जिंदगी आसान नहीं थी, लेकिन अंजू ने हार नहीं मानी.
2021 में पति नित्यानंद का बीमारी से निधन हो गया. अकेले बेटे और जिम्मेदारियों के बीच यह समय बेहद कठिन था, लेकिन अंजू ने इस दुख को अपनी ताकत बनाया. उसी साल राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की परीक्षा का फॉर्म भरा. लगातार मेहनत की और 2023 में रिजल्ट आने पर विधवा कोटे से 1725वीं रैंक हासिल की.
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