H1B Visa Fee Hike 2025: अमेरिका में हाल ही में हुए वीजा और नौकरी से जुड़े बदलावों का सीधा असर भारतीयों पर पड़ सकता है. खासकर आईटी सेक्टर में काम करने वाले और पढ़ाई के लिए वहां जाने वाले छात्रों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब दो लाख से ज्यादा भारतीय इन बदलावों से प्रभावित होंगे.
H1B Visa Hike से दो लाख से ज्यादा भारतीय प्रभावित
H1B Visa पर अमेरिका की नई नीतियों से सीधे तौर पर दो लाख से ज्यादा भारतीय प्रभावित हो सकते हैं. इनमें नौकरी के अवसर तलाश रहे युवा, पढ़ाई के बाद करियर बनाना चाहने वाले छात्र और आईटी सेक्टर के कर्मचारी शामिल हैं. इन बदलावों से भारत के बड़े हिस्से के प्रोफेशनल्स को झटका लगेगा.
अमेरिकी आईटी कंपनियों पर असर
अमेरिकी आईटी कंपनियों में भारतीयों की बड़ी संख्या काम करती है. नई नीतियों के कारण अब इन कंपनियों में भारतीयों के लिए पहले जैसी संभावनाएं नहीं होंगी. स्थानीय कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स को नौकरी पाने और लंबे समय तक टिके रहने में मुश्किलें होंगी.
कम होंगे नौकरी के अवसर
अमेरिका में पहले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए नौकरी के पर्याप्त अवसर मौजूद रहते थे. लेकिन अब कंपनियां स्थानीय नागरिकों को वरीयता देंगी. इस वजह से विदेश से आने वाले युवाओं, खासकर भारतीयों के लिए नौकरी पाना चुनौतीपूर्ण होगा. नौकरी की संख्या कम होने से प्रतिस्पर्धा और ज्यादा बढ़ जाएगी.
छात्रों पर असर
अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में मास्टर और पीएचडी करने वाले भारतीय छात्रों पर H1B Visa Hike के असर साफ दिखाई देगा. पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हें पहले जितने अवसर नहीं मिलेंगे. नए नियमों के तहत विदेशी छात्रों की बजाय स्थानीय युवाओं को कंपनियों में प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे छात्रों के विकल्प घट जाएंगे.
पढ़ाई के बाद सीमित अवसर
जो छात्र अमेरिका में पढ़ाई करने जाते हैं, वे पढ़ाई पूरी करने के बाद वहां नौकरी खोजते हैं. लेकिन अब उनके सामने सीमित अवसर ही रह जाएंगे. कंपनियां पहले अमेरिकी नागरिकों को भर्ती करेंगी और भारतीयों सहित विदेशी छात्रों को नौकरी पाने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा.
STEM क्षेत्र के भारतीय प्रभावित
अमेरिका में ज्यादातर भारतीय STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स से जुड़े कार्यों में हैं. खासकर आईटी सेक्टर में भारतीयों की संख्या अधिक है. नई नीतियों का सबसे बड़ा असर इसी वर्ग पर पड़ेगा. टेक्नोलॉजी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय अब अपने करियर में रुकावटें झेलेंगे.
मिड-लेवल और एंट्री-लेवल कर्मचारियों की मुश्किलें
मिड-लेवल और एंट्री-लेवल पर काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों के लिए वीजा पाना पहले जितना आसान नहीं रहेगा. सख्त नियमों के कारण अब उन्हें वीजा की प्रक्रिया में अड़चनें आएंगी. यह बदलाव अमेरिका में करियर बनाने की सोच रखने वाले नए प्रोफेशनल्स के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा.
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