Bihar Board Wallah Toppers: बिहार बोर्ड 2025 की 10वीं परीक्षा में इस बार राज्य के दो होनहार छात्रों ने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की नई मिसाल कायम की है. गोपालगंज की तनु कुमारी ने 500 में से 480 अंक प्राप्त कर 96% के साथ टॉपर्स की सूची में जगह बनाई, जबकि दरभंगा के आयुष कुमार चौधरी ने 452 अंक हासिल कर अपने पूरे परिवार का नाम गर्व से ऊंचा किया.
दोनों छात्रों ने ‘Bihar Board Wallah’ की ऑनलाइन कोचिंग से पढ़ाई की और बताया कि सही मार्गदर्शन, नियमित पढ़ाई और आत्मविश्वास के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है — चाहे आप किसी शहर में हों या गांव में. तनु का सपना है कि वह आगे चलकर UPSC की परीक्षा पास कर IAS अधिकारी बने, वहीं आयुष IIT की परीक्षा क्रैक करना चाहते हैं.
96% के साथ तनु बनी टॉपर
बिहार बोर्ड 2025 की 10वीं की परीक्षा में गोपालगंज की तनु कुमारी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 500 में से 480 अंक प्राप्त किए हैं. 96 प्रतिशत अंक हासिल कर तनु ने जिले का नाम रौशन किया है. तनु ने अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय ‘Bihar Board Wallah’ की ऑनलाइन कोचिंग को दिया है. उन्होंने बताया कि वे रोजाना 8 से 9 घंटे तक नियमित रूप से पढ़ाई करती थीं. गांव में रहते हुए भी उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई जारी रखी और कभी हार नहीं मानी.
तनु का अगला लक्ष्य UPSC की परीक्षा पास कर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाना है. उनके इस जज्बे और मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि अगर लगन हो तो संसाधनों की कमी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बनती.
दरभंगा के आयुष ने बढ़ाया परिवार का मान
बिहार के दरभंगा जिले के आयुष कुमार चौधरी ने 2025 की मैट्रिक परीक्षा में 500 में से 452 अंक प्राप्त कर एक शानदार उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने अपने नाना-नानी के घर रहकर पढ़ाई की और ‘बिहार बोर्ड वाला’ की ऑनलाइन कोचिंग से तैयारी की. आयुष ने न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि अपने नाना-नानी का भी नाम रोशन किया है. आयुष ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखी और हर विषय को गहराई से समझा. उन्होंने अन्य छात्रों को सुझाव देते हुए कहा कि अगर वे नियमित पढ़ाई करें तो निश्चित रूप से उन्हें सफलता मिलेगी. उनके अनुसार, ‘बिहार बोर्ड वाला’ की कोचिंग में सभी विषयों को बेहद स्पष्ट और प्रभावी ढंग से कवर किया जाता है, जिससे पढ़ाई आसान और समझने योग्य हो जाती है.
आयुष के नाना ने भावुक होकर बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई में बेहद रुचि रखते थे. मात्र 5 साल की उम्र से ही वे किताबों में गहरी रुचि लेने लगे थे. आयुष की सफलता पर उनके पिता भी बेहद भावुक हैं और पूरा परिवार उनके इस मुकाम पर गर्व महसूस कर रहा है. आयुष की यह सफलता यह साबित करती है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन से कोई भी छात्र बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है.