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टॉय मेकिंग में बढ़ सकती हैं संभावनाएं, पीएम मोदी ने खिलौनों के महत्व पर कही ये बात

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में लोगों को संबोधित करते हुए खिलौना बाजार को लेकर 'लोकल फॉर वोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने खिलौनों को बाहर से आयात करने के बजाय उन्हें स्थानीय तौर पर तैयार करने की बात कही. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए हम सभी को मिलकर खिलौने बनाने चाहिए.

हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों को संबोधित करते हुए खिलौना बाजार को लेकर ‘लोकल फॉर वोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने खिलौनों को बाहर से आयात करने के बजाय उन्हें स्थानीय तौर पर तैयार करने की बात कही. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए हम सभी को मिलकर खिलौने बनाने चाहिए. उन्होंने देश के युवाओं से कहा कि उन्हें खिलौनों के बाजार में स्टार्टअप शुरू करना चाहिए. पीएम मोदी द्वारा कही गयी इन बातों के बाद देश में टॉय इंडस्ट्री के विस्तार की उम्मीद नजर आ रही है. ऐसे में यदि आप संभावनाओं भरे क्षेत्र में करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो टाॅय इंडस्ट्री का रुख कर सकते हैं.

आवश्यक योग्यता : खिलौने तैयार करने के लिए आपको ग्राफिक डिजाइन, मॉडर्न डिजाइन या कार्टूनिंग की जानकारी होनी चाहिए. साथ ही कंप्यूटर का ज्ञान होना आवश्यक है. यदि आप उच्च स्तर के हाईटेक खिलौना उद्योग का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आपके लिए इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की पृष्ठभूमि फायदेमंद हो सकती है. सॉफ्ट टॉयज के निर्माण से जुड़े छोटे स्तर के संस्थान तो लगभग हर शहर में हैं, जहां आसानी से दाखिला मिल जाता है. इसके अलावा मल्टीमीडिया, ग्राफिक डिजाइनिंग, कार्टूनिंग, साइकोलॉजी आदि के जानकार भी इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं.

जानें कोर्स के बारे में : आज कई इंस्टीट्यूट्स टॉय मेकिंग या डिजाइनिंग से संबंधित कोर्स उपलब्ध करा रहे हैं. टॉय डिजाइनिंग में चार से छह माह के बेसिक ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट प्रोग्राम से लेकर ढाई साल के डिप्लोमा कोर्स तक उपलब्ध हैं. आप अपनी रुचि के अनुसार कोर्स कर सकते हैं. इन कोर्सेज में प्लास्टिक और विभिन्न प्रकार के मेटल्स के साथ टॉय डिजाइन करने की कला सिखायी जाती है.

कुछ गुणों का होना है जरूरी : टॉय इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए आपमें क्रिएटिविटी का होना आवश्यक है. साथ ही आपको ड्राइंग, स्केचिंग, कंप्यूटर की जानकारी होनी चाहिए. खिलौने बच्चों के लिए डिजाइन किये जाते हैं, इसलिए उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं और केमिकल्स के सुरक्षित होने का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. इसके अतिरिक्त आपमें कुछ नया करने का जुनून, क्रिएटिविटी, रुचि और बच्चों की मानसिकता समझने की क्षमता होनी चाहिए.

कहां-कहां है अवसर : टॉय डिजाइनिंग इंडस्ट्री में एक फ्रेशर के तौर पर आप किसी भी टॉय मेकिंग कंपनी में इंटर्नशिप के साथ अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं. कुछ वर्षों का अनुभव मिलने के बाद आप टॉय मेकिंग कंपनी में काम करने के अलावा खुद की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खोलने के बारे में भी सोच सकते हैं. इस क्षेत्र में सॉफ्ट टॉयज निर्माण के रूप में भी स्वरोजगार के मौके उपलब्ध हैं. टॉय डिजाइनर किसी इंस्टीट्यूट में इंस्ट्रक्टर के रूप में काम कर सकते हैं. साथ ही कंसल्टेंट के रूप में भी मौके मिलते हैं.

इन संस्थानों से कर सकते हैं पढ़ाई

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली व अन्य केंद्र

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद

इंस्टीट्यूट ऑफ टॉय मेकिंग टेक्नोलॉजी (आईटीएमटी), कोलकाता

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