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WPI Inflation: अगस्त में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे, जुलाई के मुकाबले बढ़ी महंगाई, समझें गणित

WPI Inflation: अगस्त में थोक महंगाई दर -0.52 फीसदी रही जो कि जुलाई में -1.36 फीसदी रही थी. इस लिहाज से देखा जाए तो शून्य से कम रहने के बाद भी थोक महंगाई दर में हर महीने तेजी देखी जा रही है.

WPI Inflation: अगस्त में थोक महंगाई दर के आकड़े गुरुवार को जारी कर दिये गए हैं. आकड़ों के मुताबिक, जुलाई के मुकाबले अगस्त में थोक महंगाई में वृद्धि हुई है. अगस्त में थोक महंगाई दर -0.52 फीसदी रही जो कि जुलाई में -1.36 फीसदी रही थी. इस लिहाज से देखा जाए तो शून्य से कम रहने के बाद भी थोक महंगाई दर में हर महीने तेजी देखी जा रही है. हालांकि, पिछले पांच महीने से थोक महंगाई दर निगेटिव में बनी हुई है, मगर इसमें हो रहा इजाफा परेशानी का कारण बना हुआ है. बताया जा रहा है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से शून्य से नीचे बनी है. जुलाई में यह शून्य से नीचे 1.36 प्रतिशत थी, जबकि अगस्त 2022 में यह 12.48 प्रतिशत रही थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 10.60 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 14.25 प्रतिशत थी.

ईंधन और बिजली खंड में महंगाई -6.03

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगस्त 2023 में मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन तथा रसायन उत्पादों, कपड़ा व खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही. जबकि, ईंधन व बिजली खंड की मुद्रास्फीति अगस्त में शून्य से 6.03 प्रतिशत नीचे रही, जो जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अगस्त में शून्य से नीचे 2.37 प्रतिशत रही. जुलाई में यह शून्य से नीचे 2.51 प्रतिशत थी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले महीने तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था. केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 6.83 प्रतिशत रही, जो जुलाई के 7.44 प्रतिशत से कम है.

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फिच ने वित्त वर्ष-24 में भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर रखा बरकरार

फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है, हालांकि अल नीनो के खतरे पर साल के अंत में मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया गया. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत सेवा क्षेत्र गतिविधि तथा मजबूत मांग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी. रिपोर्ट के अनुसार, कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है और वृद्धि के मामले में अन्य देशों से आगे निकल गया है. हालांकि, ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के सितंबर अद्यतन में फिच ने कहा कि उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि की गति धीमी होने की आशंका है.

क्या भी जुलाई की स्थिति

खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने के बावजूद थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी थी. जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही थी. सब्जियों की कीमतों में 62.12 प्रतिशत की वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में शून्य से 4.12 प्रतिशत नीचे रही थी. पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी. वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अनुसार जुलाई में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई थी.

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जुलाई में खुदरा महंगाई की क्या थी स्थिति

सब्जियों तथा अन्य खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 4.87 प्रतिशत थी. जबकि पिछले साल जुलाई में यह 6.71 प्रतिशत थी. इससे पहले, अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई महीने में 11.51 प्रतिशत रही जो जून में 4.55 प्रतिशत तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी. सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 37.43 प्रतिशत रही जबकि अनाज और उसके उत्पादों के दाम में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

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