Ratan Tata Wil: रतन टाटा की वसीयत को लेकर कई खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें दावा किया गया है कि उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा समाज सेवा के लिए दान कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने लगभग ₹3,800 करोड़ की संपत्ति के बटवारा हुआ. इसके अलावा, उनके कुछ करीबी लोगों को भी संपत्ति का हिस्सा या विशेष उपहार मिले हैं. लेकिन खास बात यह है कि उनकी वसीयत में एक ऐसा युवा शामिल है, जिसका उपनाम टाटा नहीं है. वह कोई और नहीं बल्कि शांतनु नायडू हैं, जो रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगी और मित्र माने जाते हैं.
कौन हैं शांतनु नायडू?
शांतनु नायडू, रतन टाटा के सहायक और करीबी मित्र रहे हैं. उनका जन्म 1993 में पुणे के एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उन्होंने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया.
2017 से शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट्स से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में टाटा समूह में जनरल मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. वे पशु कल्याण और सामाजिक सेवा के प्रति समर्पित हैं. उन्होंने ‘मोटोपॉज़’ (Motopaws) नामक एक संगठन की स्थापना की, जो आवारा कुत्तों के लिए परावर्तक (रिफ्लेक्टिव) डेनिम कॉलर बनाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
शांतनु नायडू को रतन टाटा की वसीयत में क्या मिला?
रतन टाटा की वसीयत के अनुसार, शांतनु नायडू को ‘गुडफेलोज’ (Goodfellows) स्टार्टअप में टाटा की हिस्सेदारी मिली है. यह स्टार्टअप बुजुर्गों को युवा साथियों के माध्यम से भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है. इसके अलावा, टाटा ने उनका एजुकेशन लोन भी माफ कर दिया है. यह इस बात का संकेत है कि रतन टाटा न केवल शांतनु की प्रतिभा को पहचानते थे, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य को भी सुनिश्चित करना चाहते थे.
दान की गई संपत्ति में क्या शामिल है?
रतन टाटा ने अपनी ₹3,800 करोड़ की निजी संपत्ति समाज सेवा के लिए दान कर दी है. इसमें उनका सबसे बड़ा व्यक्तिगत निवेश, टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी, शामिल है. यह संपत्ति मुख्य रूप से टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन जैसी संस्थाओं को दी जाएगी. इसके अलावा, उन्होंने अपनी बची हुई संपत्तियाँ भी समाज सेवा के लिए समर्पित कर दी हैं.
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