Report: पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने सोमवार 29 दिसंबर 2025 को अपनी रिटायरमेंट रेडीनेस रिसर्च रिपोर्ट 2025 का तीसरा एडिशन जारी किया. यह रिपोर्ट भारतीय परिवारों की बदलती सोच, उम्मीदों, चिंताओं और महत्वाकांक्षाओं को सामने लाती है. ऐसे समय में, जब देश में आय का स्तर बढ़ रहा है और व्यक्तिगत पहचान को नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है, तब यह स्टडी एक चौंकाने वाला विरोधाभास दिखाती है. रिटायरमेंट पहली बार भारत की नंबर-1 फाइनेंशियल प्राथमिकता बन गया है, लेकिन वास्तविक तैयारी में तेज गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार, जहां 2023 में 67% लोगों के पास रिटायरमेंट प्लान था, वहीं 2025 में यह आंकड़ा गिरकर सिर्फ 37% रह गया है.
रिटायरमेंट बना नंबर-1 प्राथमिकता
पीजीआईएम इंडिया की इस रिसर्च में सामने आया है कि 2025 में रिटायरमेंट भारतीयों की सबसे बड़ी वित्तीय प्राथमिकता बन गया है. यह प्राथमिकता सूची में सीधे आठवें स्थान से पहले स्थान पर पहुंच गया है. यह बदलाव दर्शाता है कि अब लाइफस्टाइल, आत्म-संतुष्टि और उद्यमशील लक्ष्यों ने पारंपरिक परिवार-केंद्रित चिंताओं को पीछे छोड़ दिया है. यह ट्रेंड एक ऐसे भारत की ओर इशारा करता है, जहां लोग सिर्फ भविष्य की सुरक्षा नहीं, बल्कि बेहतर जीवन गुणवत्ता की भी योजना बना रहे हैं.
इरादे मजबूत, लेकिन प्लानिंग कमजोर
हालांकि, रिटायरमेंट को लेकर इरादा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है, लेकिन असल प्लानिंग में गिरावट चिंता का विषय है. रिपोर्ट बताती है कि लोग अब इंश्योरेंस-आधारित समाधानों से हटकर प्रोटेक्शन और वेल्थ क्रिएशन के बीच स्पष्ट अंतर करना शुरू कर चुके हैं. इस बदलाव के कारण कई लोग पुराने ढर्रे की योजनाओं को छोड़ तो रहे हैं, लेकिन नई, ठोस रिटायरमेंट स्ट्रैटेजी अभी तक नहीं बना पाए हैं.
सुरक्षा से आकांक्षा की ओर बदलती सोच
रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि भारत की फाइनेंशियल सोच अब डर-आधारित सुरक्षा मॉडल से निकलकर आकांक्षा-आधारित महत्वाकांक्षा की ओर बढ़ रही है. पहले जहां पारिवारिक सुरक्षा और मेडिकल इमरजेंसी सबसे ऊपर थीं, अब उनकी जगह लाइफस्टाइल अपग्रेड, बिजनेस शुरू करना और व्यक्तिगत संतुष्टि जैसे लक्ष्य ले रहे हैं. यह संकेत देता है कि अधिक समृद्ध भारत में स्वास्थ्य और परिवार अब “हाइजीन फैक्टर” बनते जा रहे हैं, जबकि लोग अपने लिए बेहतर और स्वतंत्र भविष्य की कल्पना करने लगे हैं.
म्यूचुअल फंड बने रिटायरमेंट प्लानिंग का केंद्र
रिपोर्ट के मुताबिक, म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट प्लानिंग का सबसे पसंदीदा माध्यम बनकर उभरे हैं. म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर की पसंद 2023 के 44% से बढ़कर 62% हो गई है, जबकि इन्हें अपनाने वालों की संख्या 35% तक पहुंच गई है. इसके साथ ही एनपीएस, पीपीएफ और रिटायरमेंट-केंद्रित फंड्स की लोकप्रियता भी बढ़ रही है. आरईआईटी जैसे नए जमाने के प्रोडक्ट्स ने भी धीरे-धीरे अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है.
वैकल्पिक इनकम का रुझान, इरादा तेज
वैकल्पिक आय स्रोत अपनाने की मौजूदा गति भले ही 25% पर धीमी हो गई हो, लेकिन इसे अपनाने का इरादा बढ़कर 44% हो गया है. ‘कभी रिटायर न होने’ की मानसिकता, लाइफस्टाइल लक्ष्यों और अतिरिक्त आय की चाह ने इस ट्रेंड को बढ़ावा दिया है.
मानसिकता में आया परिपक्व बदलाव
पीजीआईएम इंडिया के सीईओ अभिषेक तिवारी के अनुसार, रिटायरमेंट को प्राथमिकता बनाना लेकिन तैयारी का कम होना नकारात्मक नहीं, बल्कि एक सकारात्मक संकेत है. यह दिखाता है कि भारतीय अब जोखिम से बचने के साथ-साथ अपने भविष्य को सक्रिय रूप से गढ़ने की सोच अपना रहे हैं. वहीं, सीनियर एडवाइजर अजीत मेनन का मानना है कि यह बदलाव “सब कुछ परिवार के लिए” से “मेरे लिए क्या?” की ओर बढ़ने का संकेत है. बढ़ती फाइनेंशियल जटिलता के बीच, प्रोफेशनल सलाह की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है.
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रिटायरमेंट प्लानिंग को आसान बनाती रिपोर्ट
रिटायरमेंट रेडीनेस रिसर्च रिपोर्ट 2025 निवेशकों, सलाहकारों और नीति निर्माताओं तीनों के लिए उपयोगी है. यह रिपोर्ट रिटायरमेंट प्लानिंग को जटिलता और चिंता से निकालकर एक्शन योग्य इनसाइट्स में बदलती है और भारत में सक्रिय रिटायरमेंट प्लानिंग को सामान्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होती है.
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