Daily SIP: एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान लॉन्ग टर्म में मोटी कमाई करने का सबसे लोकप्रिय और आसान साधन है. लेकिन, अधिकतर लोगों के मन में यह भ्रम बना रहता है कि एसआईपी में हर महीने बड़ी अमाउंट जमा करने पर ही मोटी कमाई हो सकती है. अगर लोग ऐसा सोचते हैं, तो यह उनकी भूल हो सकती है. सिर्फ दो कप चाय की कीमत के बराबर मात्र 10 रुपये डेली वाले एसआईपी से भी लॉन्ग टर्म में लाखों की कमाई की जा सकती है. इसे जानकर लोग चौंकेंगे और कई सवाल पूछेंगे. ऐसे लोगों की शंका के समाधान के लिए हमने एसआईपी एक्सपर्ट और शेयर.मार्केट (फोनपे वेल्थ) के हेड ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स नीलेश डी नाइक से बातचीत की. आइए, विस्तार से जानते हैं कि रोजाना 10 रुपये डेली वाले छोटकू एसआईपी के बारे में उन्होंने क्या कहा?
प्रश्न: डेली एसआईपी को 10 रुपये वाली छोटी रकम से शुरू करने का आइडिया कैसे आया और यह पहली बार निवेश करने वालों को कितना फायदा पहुंचाएगा?
नीलेश डी नाइक: डेली एसआईपी को छोटे और नए इन्वेस्टर्स को म्यूचुअल फंड इकोसिस्टम में लाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था. समय के साथ हमें यह अहसास हुआ कि भारत में एक बहुत बड़ी आबादी सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट से जुड़ी है, जिनका कैश फ्लो रोजाना होता है और वे बड़ी राशि इन्वेस्ट करने की जगह नियमित रूप से छोटी राशि अलग रखना पसंद करते हैं. डेली एसआईपी उनकी कमाई के पैटर्न के अनुकूल है, जिससे इन्वेस्टमेंट प्रोसेस आसान हो जाता है. साथ ही, मात्र 10 रुपये की छोटी रकम इसे हर किसी के लिए किफायती बनाती है. इससे पहली बार इन्वेस्ट करने वालों के लिए हिचकिचाहट कम होती है, यह एंट्री बैरियर को घटाता है और उनके फाइनेंस पर बिना दबाव डाले, अनुशासित तरीके से, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट की आदत बनाने में मदद करता है.
प्रश्न: 10 रुपये वाला डेली एसआईपी मॉडल रुपये-कॉस्ट एवरेजिंग और लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिहाज से मंथली या क्वाटरली एसआईपी से किस तरह अलग है?
नीलेश डी नाइक: डेली, मंथली और क्वार्टरली एसआईपी सभी एक ही बेसिक प्रिंसिपल पर काम करते हैं, यानी नियमित रूप से इन्वेस्ट करने से वेल्थ क्रिएशन में मदद मिलती है और समय के साथ मार्केट की वोलैटिलिटी का असर भी कम होता है. 10 रुपये का डेली एसआईपी इस मुख्य लाभ को नहीं बदलती, बल्कि इन्वेस्टर्स के लिए अधिक सुविधा और पहुंच को आसान बनाती है. डेली एसआईपी के साथ छोटी राशि को बार-बार इन्वेस्ट करना मार्केट के उतार-चढ़ाव को संतुलित करने का सबसे आसान तरीका है. यह आपके डेली के कैश फ्लो में आसानी से फिट हो जाता है और इन्वेस्टर्स अपने आय पैटर्न और सुविधा के हिसाब से फ्रीक्वेंसी तय कर सकते हैं.
प्रश्न: भारत में छोटे निवेश तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. इसके पीछे कौन-से बिहेवियरल और इकनॉमिक फैक्टर्स काम कर रहे हैं?
नीलेश डी नाइक: अधिकतर सेल्फ-एम्प्लॉयड लोग जिनका डेली कैश फ्लो या अनियमित है, उनके लिए एक साथ बड़ी राशि या फिक्स्ड मंथली कंट्रीब्यूशन करने के बजाय छोटी-छोटी रकम नियमित रूप से बचाना और इन्वेस्ट करना ज्यादा आसान होता है. हर रोज सिर्फ 10 रुपये इन्वेस्ट करना जेब पर हल्का लगता है और इससे बड़े इन्वेस्टमेंट का प्रेशर भी खत्म हो जाता है.
अगर व्यवहारिक तौर पर देखें, तो रोज थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्टमेंट करने से मन का डर खत्म हो जाता है. खासकर, उनके लिए जो पहली बार इन्वेस्ट कर रहे हैं. छोटी राशि होने की वजह से बाजार का उतार-चढ़ाव भी डरावना नहीं लगता, जिससे घबराहट कम होती है. यह तरीका आपको धीरे-धीरे अनुशासित बनाता है और आपका भरोसा बढ़ता है. फिर इन्वेस्ट करना कोई मुश्किल काम नहीं, बल्कि रोजाना की एक आदत बन जाती है.
प्रश्न: 10 रुपये वाला डेली एसआईपी फीचर किस प्रकार यूजर्स के लिए डिजाइन किया गया है? जिनकी इनकम अनियमित है, वे अपनी बचत से निवेश कैसे करेंगे?
नीलेश डी नाइक: डेली एसआईपी को उन इन्वेस्टर्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जिनके पास डेली कैशफ्लो होता है. इन्वेस्टमेंट को आसान और ऑटोमैटिक बनाने के लिए, इन्वेस्टर्स यूपीआई ऑटोपे के माध्यम से एसआईपी सेट कर सकते हैं, जिससे वे अपनी डेली सेविंग्स से छोटी-छोटी राशि को बिना किसी मैन्युअल प्रयास के इन्वेस्ट कर सकें. इन्वेस्टर्स यूपीआई ऑटोपे के जरिए एसआईपी सेटअप कर सकते हैं, ताकि इन्वेस्ट करना आसान और ऑटोमैटिक हो जाए, जिससे वे बिना किसी मैनुअल कोशिश के अपनी डेली सेविंग्स से छोटी-छोटी राशि को इन्वेस्ट कर सकें.
यह फीचर कैश फ्लो और फाइनेंशियल सुविधा के अनुसार से अपने योगदान को बढ़ाने या घटाने की फ्लेक्सिबिलिटी भी देता है. वे अपने लक्ष्यों और रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर इक्विटी, गोल्ड और मल्टी-एसेट फंड सहित म्यूचुअल फंड की सेलेक्टेड रेंज में से चुन सकते हैं. सबसे जरूरी बात यह है कि इन्वेस्टर्स, जरूरत पड़ने पर अपने एसआईपी को आसानी से पॉज कर सकते हैं या बंद कर सकते हैं, और जब भी वे तैयार हों, बिना किसी पेनल्टी के रीस्टार्ट कर सकते हैं.
प्रश्न: इस फीचर के तहत इक्विटी, गोल्ड और मल्टी-एसेट फंड जैसे ऑप्शन देने के पीछे क्या स्ट्रैटेजी है?
नीलेश डी नाइक: इक्विटी, गोल्ड और मल्टी-एसेट फंड देने के पीछे की स्ट्रैटेजी अलग-अलग रिस्क प्रोफाइल और इन्वेस्टमेंट होराइजन वाले इन्वेस्टर्स की जरूरतों को पूरा करना है. सभी इन्वेस्टर्स एक जैसा रिस्क लेने में सहज नहीं होते. खासकर, ऐसे इन्वेस्टर्स जो पहली बार इन्वेस्ट कर रहे हों. ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता और लॉन्ग-टर्म सोच वाले लोग संभावित ग्रोथ के लिए इक्विटी फंड चुन सकते हैं, जबकि अधिक सतर्क इन्वेस्टर्स मल्टी-एसेट फंड पसंद कर सकते हैं, जो एसेट क्लास में डाइवर्सिफिकेशन देते हैं. गोल्ड फंड उन इन्वेस्टर्स के लिए एक और ऑप्शन देते हैं, जो स्थिरता और डाइवर्सिफिकेशन चाहते हैं. यह रेंज यूजर्स को इस तरह से इन्वेस्ट करना शुरू करने की सुविधा देती है, जो उनके कम्फर्ट लेवल के अनुसार हो और साथ ही लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल डिसिप्लिन भी बनाए.
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि 10 रुपये के डेली एसआईपी वाले प्रोडक्ट्स भारत में छोटे निवेश को बढ़ावा देंगे और लोगों में बचत की आदत बढ़ेगी?
नीलेश डी नाइक: हां, हमारा मानना है कि डेली एसआईपी जैसे प्रोडक्ट्स छोटे इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दे सकते हैं और लोगों में सेविंग्स की आदत डालने में मदद कर सकते हैं. हालांकि, अभी शुरुआत ही है, लेकिन हम अपने प्लेटफॉर्म पर डेली म्यूचुअल फंड एसआईपी की काफी डिमांड देख रहे हैं. डेली एसआईपी पहली बार इन्वेस्ट करने वालों के लिए एक प्रभावी गेटवे के रूप में कार्य करती है. जिनमें से कई लोग म्यूचुअल फंड के लिए नए हैं और बहुत छोटे, नियमित इन्वेस्टमेंट के साथ शुरुआत करने में अधिक सहज महसूस करते हैं. यह फॉर्मेट डेली कैश फ्लो के साथ फिट बैठता है, जिससे इन्वेस्टमेंट सरल और सुलभ हो जाता है. जैसे-जैसे इन्वेस्टर्स को कॉन्फिडेंस आता है और वे डिसिप्लिनड इन्वेस्टमेंट के फायदे देखते हैं, तो समय के साथ राशि को बढ़ाने, उनके मंथली एसआईपी और दूसरे म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट को एक्सप्लोर करने की संभावना बढ़ती है.
प्रश्न: आने वाले समय में शेयर.मार्केट 10 रुपये वाले छोटे निवेश और एसआईपी इनोवेशन को लेकर और कौन-से नए प्रयोग करने की योजना बना रहा है?
नीलेश डी नाइक: आगे चलकर, हमारा फोकस पूरे देश के इन्वेस्टर्स के लिए माइक्रो-इन्वेस्टिंग को और भी आसान, सुलभ और स्मार्ट बनाने पर है. हमारा लक्ष्य टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इन्वेस्टर्स को ज्यादा सोच-समझकर फैसले लेने में मदद करते हुए, कैपिटल मार्केट प्रोडक्ट्स की एक बड़ी रेंज तक उनकी पहुंच को बढ़ाना है. इसमें ऐसे फीचर्स डिजाइन करना शामिल है, जो इन्वेस्टिंग को आसान बनाते हैं, यूजर्स को उनके लक्ष्यों और रिस्क प्रोफाइल के आधार पर गाइड करते हैं और पहली बार इन्वेस्ट करने वालों के लिए मुश्किलों को कम करते हैं. हमारा उद्देश्य लोगों को आत्मविश्वास और निरंतरता के साथ इन्वेस्ट करने में सक्षम बनाना है, चाहे वे कितनी भी छोटी राशि से शुरुआत करें. साथ ही, समय के साथ उनकी इन्वेस्टमेंट जर्नी में उनका सहयोग करना है.
प्रश्न: आखिरी सवाल और वह यह कि 10 रुपये के डेली एसआईपी से लोगों को कितने साल में कितना रिटर्न मिलेगा, ताकि वे भविष्य के मोटे खर्चों का बोझ उठा सकेंगे?
नीलेश डी नाइक: डेली एसआईपी, मंथली एसआईपी की तरह ही वेल्थ-क्रिएशन प्रिंसिपल पर काम करता है और मार्केट में समय के महत्व को नहीं बदलता है. भविष्य के बड़े खर्चों पर अच्छे नतीजों के लिए आमतौर पर लॉन्ग-टर्म अप्रोच की जरूरत होती है. यह अक्सर पांच साल या उससे अधिक का होता है, जो चुने गए फंड, मार्केट परफॉर्मेंस और समय के साथ इन्वेस्टमेंट कैसे बढ़ता है, इस पर निर्भर करता है. हालांकि, 10 रुपये छोटी राशि लग सकती है, लेकिन कई डेली एसआईपी इन्वेस्टर, हर महीने 100 रुपये या 500 रुपये इन्वेस्ट करते हैं. बस, इसे डेली इंस्टॉलमेंट में बांट देते हैं. इससे भी जरूरी बात यह है कि यह फीचर नए इन्वेस्टर्स को एक अच्छी तरह से रेगुलेटेड, लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट से परिचित कराता है. जैसे-जैसे कॉन्फिडेंस बढ़ता है, इन्वेस्टमेंट की राशि बढ़ाई जा सकती है, जिससे लॉन्ग-टर्म नतीजे बेहतर होते हैं.
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