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बीमा सेक्टर में होगा बड़ा बदलाव, तीन कंपनियों का विलय कर सकती है सरकार

Insurance Company Merger: वित्त मंत्रालय ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के विलय प्रस्ताव की दोबारा समीक्षा कर रहा है. हाल में इन सरकारी बीमा कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार के बाद सरकार इन्हें एक सिंगल इकाई बनाने पर विचार कर रही है. तीनों कंपनियों में 17,450 करोड़ रुपये के निवेश के बाद संचालन क्षमता और प्रदर्शन बेहतर हुआ है. साथ ही एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण पर भी विचार जारी है। यह कदम बीमा बाजार में दक्षता और प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकता है.

Insurance Company Merger: वित्त मंत्रालय तीन सरकारी सामान्य बीमा कंपनी ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को सिंगल यूनिट में विलय करने पर फिर से विचार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति में पिछली कुछ तिमाहियों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, जिससे सरकार एक बार फिर लंबे समय से लंबित पड़े इस विलय प्रस्ताव पर शुरुआती समीक्षा कर रही है. इस कदम का मुख्य उद्देश्य कार्यकुशलता बढ़ाना, लागत प्रबंधन सुधारना और बड़े पैमाने पर संचालन क्षमता विकसित करना है.

सरकार ने संकट से उबारने के लिए किया था निवेश

2019-20 से 2021-22 के बीच केंद्र सरकार ने इन तीनों बीमा कंपनियों में कुल 17,450 करोड़ रुपये की पूंजी डालकर इन्हें वित्तीय संकट से बाहर निकालने की कोशिश की थी. उस समय कंपनियों पर भारी दावों का बोझ, परिचालन घाटा और कमजोर पूंजी पर्याप्तता जैसी चुनौतियां थीं. सरकारी निवेश के बाद कंपनियों की स्थिति धीरे-धीरे स्थिर होने लगी और अब इनके वित्तीय संकेतक पहले की तुलना में बेहतर हैं.

2018 में हुई थी बड़ी घोषणा

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन तीनों कंपनियों को एक एकीकृत बीमा कंपनी में बदलने की घोषणा की थी. लेकिन, जुलाई 2020 में कोविड महामारी और वित्तीय अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस विलय योजना को स्थगित कर दिया. इसके बजाय केंद्र ने इन कंपनियों में 12,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने का फैसला किया, जिससे तत्कालीन दबाव घट सके.

अंतिम फैसला अभी बाकी

सूत्रों का कहना है कि विलय प्रस्ताव के साथ-साथ सरकार एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना पर भी विचार कर रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी. इसके बाद अगस्त 2021 में संसद ने ‘जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) अमेंडमेंट बिल 2021’ को पारित किया, जिससे सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों के निजीकरण का रास्ता औपचारिक रूप से खुल गया. हालांकि, अब तक यह तय नहीं है कि कौन-सी कंपनी को निजी क्षेत्र में भेजा जाएगा. सरकार सभी विकल्पों, वित्तीय जोखिमों और बाजार प्रतिक्रिया का आकलन करने के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लेगी.

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बीमा बाजार के लिए क्या होगा असर?

तीन बड़ी सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों का विलय होने पर भारत में एक मजबूत, एकीकृत और अधिक प्रतिस्पर्धी सार्वजनिक बीमा इकाई बन सकती है. इससे परिचालन लागत घटेगी, दावों के निपटान की क्षमता बढ़ेगी, तकनीकी और वितरण नेटवर्क मजबूत होंगे और ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं मिलेंगी. सरकार जल्द ही अपनी प्रारंभिक समीक्षा के आधार पर अगले कदमों का खाका तैयार कर सकती है.

भाषा इनपुट के साथ

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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