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सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक का बड़ा बयान, अब बूंद-बूंद पानी को तरसेगा पाकिस्तान

Indus Water Treaty: भारत-पाकिस्तान सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि उसकी भूमिका केवल सुविधा-प्रदाता की है. भारत द्वारा संधि निलंबित करने और विश्व बैंक के तटस्थ रुख से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अब भारत का पश्चिमी नदियों के जल पर नियंत्रण मजबूत होगा और पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.

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Indus Water Treaty: भारत को आंख दिखाने की हिमाकत करने वाला पाकिस्तान अब बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा. इसका कारण यह है कि सिंधु जल संधि में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले विश्व बैंक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसमें उसकी बहुत अधिक भूमिका नहीं है. वह केवल सुविधा प्रदान करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता. दुनिया की बहुपक्षीय एजेंसी विश्व बैंक की ओर से यह बयान आने के बाद पाकिस्तान की आफत और बढ़ गई है और सिंधु जल संधि को निरस्त करने के लिए भारत का रास्ता साफ हो गया है.

सिंधु जल संधि में सुविधा प्रदान करता है विश्व बैंक

भारत की यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने शुक्रवार को कहा, ”बहुपक्षीय एजेंसी की भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि में सुविधा प्रदान करने के अलावा कोई भूमिका नहीं है.” सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी के बंटवारे के लिए 1960 में दोनों देशों ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे. भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 भारतीयों की हत्या के बाद दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है.

पीआईबी ने एक्स पर लिखा पोस्ट

प्रेस इन्फॉमेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा के हवाले से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमारी भूमिका केवल एक सुविधा-प्रदाता की है. मीडिया में इस बारे में बहुत अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक किस तरह से इस समस्या को हल करेगा. लेकिन, यह सब बेबुनियाद है. विश्व बैंक की भूमिका केवल एक सुविधा-प्रदाता की है.’’

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सिंधु और सहायक नदियों के पानी को नियंत्रित करता है विश्व बैंक

विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे और इस्तेमाल को नियंत्रित किया गया है. सिंधु नदी प्रणाली में मुख्य नदी सिंधु और उसकी सहायक नदियां शामिल हैं. रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब इसकी सहायक नदियां हैं. वहीं, काबुल नदी भारतीय क्षेत्र से होकर नहीं बहती है. रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां जबकि सिंधु, झेलम तथा चिनाब को पश्चिमी नदियां कहा जाता है. इस नदी प्रणाली का पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. स्वतंत्रता के समय भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा सिंधु बेसिन से होकर गुजरती थी, जिससे भारत ऊपरी तटवर्ती देश और पाकिस्तान निचला तटवर्ती देश बन गया.

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