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एच1बी वीजा फीस बढ़ने के बाद नैस्कॉम का बड़ा फैसला, वीजाधारी कर्मचारियों को वापस बुलाएंगी कंपनियां

H1B Visa Fee Hike: एच1बी वीजा फीस बढ़ने के बाद नैस्कॉम ने सदस्य कंपनियों से अमेरिका से बाहर मौजूद एच1बी कर्मचारियों को तुरंत वापस बुलाने का आदेश दिया है. नैस्कॉम ने कहा कि अचानक बदलाव से प्रोजेक्ट डिलीवरी और ग्राहक संबंध प्रभावित हो सकते हैं. उच्च कौशल वाले भारतीय पेशेवर अमेरिकी अर्थव्यवस्था और इनोवेशन सिस्टम में अहम योगदान देते हैं. ट्रंप प्रशासन की नीति से भारत और अमेरिकी कंपनियों दोनों को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. यह कदम उद्योग जगत से परामर्श के बिना लिया गया, जिससे पेशेवरों में अनिश्चितता बढ़ी है.

H1B Visa Fee Hike: ट्रंप प्रशासन की ओर से एच1बी वीजा की फीस बढ़ाना अब भारी पड़ेगा. इसका कारण यह है कि भारत की प्रसिद्ध उद्योग निकाय नैस्कॉम ने अपने सदस्य कंपनियों से अमेरिका से बाहर रहने वाले एच1बी वीजाधारी कर्मचारियों को अमेरिका वापस बुलाने को कहा है. नैस्कॉम के उपाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह ने कहा कि यह फैसला बिना पर्याप्त परामर्श के लिया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन ने अपनी सदस्य कंपनियों से आग्रह किया है कि अमेरिका से बाहर मौजूद एच1बी वीजाधारी कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका वापस बुलाया जाए. नैस्कॉम का मानना है कि इतनी बड़ी नीतिगत घोषणा को लागू करने से पहले उद्योग जगत से संवाद और पर्याप्त तैयारी का समय दिया जाना चाहिए था.

अचानक बदलाव से बढ़ी अनिश्चितता

नैस्कॉम ने 21 सितंबर की समय-सीमा पर विशेष आपत्ति दर्ज की है. केवल एक दिन की नोटिस अवधि दुनिया भर के पेशेवरों, छात्रों और कंपनियों के लिए गहरी अनिश्चितता पैदा करती है. यह न केवल प्रोजेक्ट डिलीवरी को प्रभावित कर सकता है, बल्कि ग्राहकों के साथ चल रही कई परियोजनाओं की निरंतरता भी खतरे में डाल सकता है.

अमेरिकी इनोवेशन पर पड़ सकता है असर

नैस्कॉम ने कहा है कि एच1बी वीजा अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के संचालन में एक अहम कड़ी है. इस पर अत्यधिक शुल्क लगाने से अमेरिका का इनोवेशन इको-सिस्टम प्रभावित होगा. खासकर ऐसे समय में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अन्य अत्याधुनिक तकनीकें वैश्विक प्रतिस्पर्धा का भविष्य तय कर रही हैं, उच्च कौशल वाले भारतीय पेशेवरों पर प्रतिबंध अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकता है.

भारतीय आईटी कंपनियों की चुनौतियां

इस फैसले से भारत की प्रमुख प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियां भी प्रभावित होंगी. विदेशों में चल रहे कई प्रोजेक्ट्स की व्यावसायिक निरंतरता बाधित होगी और कंपनियों को ग्राहकों के साथ मिलकर नए समायोजन करने पड़ेंगे. हालांकि, नैस्कॉम ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-केंद्रित कंपनियों ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियों पर जोर देकर एच1बी पर निर्भरता कम की है, लेकिन अचानक लिया गया यह कदम बड़ी बाधा खड़ी करेगा.

कौशल वाले भारतीय कर्मचारियों का योगदान

नैस्कॉम ने जोर देकर कहा कि एच1बी वीजाधारी भारतीय कर्मचारी किसी भी तरह से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि वे स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. ये कंपनियां सभी नियमों का पालन करती हैं, प्रचलित वेतन देती हैं और शिक्षा जगत व स्टार्टअप्स के साथ इनोवेशन साझेदारी करती हैं. इस कारण उच्च-कौशल वाली भारतीय प्रतिभा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नवाचार, वृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता की दिशा में आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है.

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दोतरफा नुकसान की संभावना

एच1बी वीजा शुल्क बढ़ाने का ट्रंप प्रशासन का फैसला केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों और इनोवेशन सिस्टम के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है. एक दिन की समय-सीमा और बिना उद्योग जगत से परामर्श किए लागू किया गया यह बदलाव पेशेवरों और कंपनियों को मुश्किल स्थिति में डाल रहा है. नैस्कॉम का मानना है कि यदि अमेरिका वास्तव में तकनीकी नेतृत्व बनाए रखना चाहता है, तो उसे भारतीय आईटी पेशेवरों की भूमिका और योगदान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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