H1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा पर लगने वाले चार्ज को चुपके से बढ़ाकर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 8809179.98 रुपये करके बुरी तरह फंसते दिखाई दे रहे हैं. इसका कारण यह है कि उनके इस फैसले से अमेरिका ही सबसे अधिक प्रभावित होता दिखाई दे रहा है. हालांकि, इससे भारतीय कंपनियां भी प्रभावित होंगी, लेकिन बताया यह भी जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से भारत में इनोवेशन बढ़ेगा और यह जल्द ही इसका हब बनेगा.
भारत में बढ़ेगा इनोवेशन और डेवलपमेंट
समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, नीति आयोग के पूर्व सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एच1बी वीजा चार्ज को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर ( करीब 8809179.98 रुपये) करने से अमेरिकी इनोवेशन ही सबसे अधिक प्रभावित होगा. उनके इस फैसले से लेबोरेटरीज, पेटेंट और स्टार्टअप्स अब अमेरिका की बजाय बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे भारत शहरों की ओर रुख करेंगी, जिससे देश में इनोवेशन और डेवलपमेंट बढ़ेगा.
अमेरिकी इनोवेशन को दबा देगा ट्रंप का वीजा चार्ज
अमिताभ कांत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पुराना ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “डोनाल्ड ट्रंप का 1,00,000 डॉलर वाला एच1-बी शुल्क अमेरिकी इनोवेशन को दबा देगा, जबकि भारत के इनोवेशन को तेज करेगा. उन्होंने कहा कि ग्लोबल टैलेंट के लिए अमेरिका के दरवाजे बंद होने से अगली पीढ़ी की लेबोरेटरीज, पेटेंट, इनोवेशन और स्टार्टअप बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों की ओर बढ़ेंगी. भारत के बेहतरीन डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और इनोवेटिव भारत के विकास और विकसित भारत की दिशा में योगदान देने का अवसर पाएंगे. उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका को नुकसान और भारत को फायदा होगा.”
ट्रंप ने वीजा पर क्यों बढ़ाया चार्ज
अमेरिका में वीजा पर काम कर रहे भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले एक कदम के तहत ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिससे एच1-बी वीजा के लिए शुल्क बढ़कर सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 8809179.98 रुपये हो जाएगा. यह आव्रजन पर नकेल कसने के प्रशासन के प्रयासों का ताजा कदम है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस चार्ज का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में लाए जा रहे लोग वास्तव में अत्यधिक कुशल हों और अमेरिकी मूल के कर्मचारियों की जगह न लें.
एच1बी वीजा से टीसीएस को सबसे अधिक लाभ
अमेरिका के संघीय आंकड़ों की मानें तो भारतीय कंपनियों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 2025 तक 5,000 से अधिक स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ इस कार्यक्रम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है. इस लिहाज से पहले स्थान पर अमेजन है. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) के अनुसार, जून 2025 तक अमेजन के 10,044 कर्मचारी एच-1बी वीजा का इस्तेमाल कर रहे थे. दूसरे स्थान पर 5,505 स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ टीसीएस रही.
अमेरिका में किस कंपनी के कितने कर्मचारी
- अमेजन: 10,044
- टीसीएस: 5,505
- माइक्रोसॉफ्ट: 5189
- मेटा: 5123
- एप्पल: 4202
- गूगल: 4181
- डेलॉइट: 2353
- इंफोसिस: 2004
- विप्रो: 1523
- टेक महिंद्रा अमेरिकाज: 951
ट्रंप का चौंकाने वाला फैसला
ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का चौंका देने वाला वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य कार्यक्रम के ”व्यवस्थित दुरुपयोग” को रोकना है. हालांकि, इस फैसले से अमेरिका में भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
भारतीय कंपनियों पर कितना पड़ेगा प्रभाव
उद्योग निकाय नैस्कॉम ने शनिवार को अमेरिका की ओर से एच-1बी वीजा आवेदन चार्ज को बढ़ाकर एक लाख डॉलर करने के फैसले पर चिंता जताई है. नैस्कॉम ने कहा कि यह कदम भारतीय प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों को प्रभावित करेगा और विदेशों में चल रही कई परियोजनाओं की व्यावसायिक निरंतरता बाधित हो सकती है. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारतीय कंपनियों ने हाल के वर्षों में अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियों पर जोर देकर एच-1बी वीजा पर अपनी निर्भरता कम की है. ये कंपनियां सभी नियमों का पालन करती हैं, प्रचलित वेतन का भुगतान करती हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं.
नैस्कॉम ने उठाया सवाल
नैस्कॉम ने विशेष रूप से 21 सितंबर की समय-सीमा पर सवाल उठाया और कहा कि इतने कम समय में बदलाव लागू करना वैश्विक व्यवसायों, पेशेवरों और छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा करता है. उद्योग निकाय के अनुसार, ऐसे बड़े नीतिगत बदलावों के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, ताकि संगठन और व्यक्ति योजनाबद्ध ढंग से समायोजन कर सकें और व्यवधान को कम किया जा सके.
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अमेरिका के लिए खतरा नहीं हैं एच1बी वीजाधारक
नैस्कॉम ने जोर देकर कहा कि एच-1बी वीजा धारक किसी भी तरह से अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं. साथ ही, उच्च-कौशल वाली प्रतिभा इनोवेशन और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए महत्वपूर्ण है. खासकर, ऐसे समय में जब एआई और अन्य तकनीकें वैश्विक प्रतिस्पर्धा को परिभाषित कर रही हैं.
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