GST Reforms: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार रात जीएसटी 2.0 सुधारों की घोषणा की. इस फैसले में स्वास्थ्य क्षेत्र और आम जनता दोनों को राहत दी गई है. अब पर्सनल लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी नहीं लगेगा. पहले इन पर 18% टैक्स वसूला जाता था, जिससे लाखों लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था. इसके साथ ही, जीएसटी परिषद ने जीवन रक्षक दवाइयों को भी टैक्स फ्री करने का फैसला किया है. इससे ये दवाइयां पहले के मुकाबले काफी सस्ती होंगी. सरकार की ओर से जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के सुधारों की दिशा में उठाए गए इस कदम से देश के करोड़ों लोगों को फायदा होगा.
इंश्योरेंस सेक्टर को मिली राहत
सरकार को वर्ष 2024 में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी से करीब 16,398 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था. इसमें 8,135 करोड़ रुपये जीवन बीमा से और 8,263 करोड़ रुपये स्वास्थ्य बीमा से आए थे. इसके अलावा, रिन्युअल प्रीमियम से भी 2,045 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी. लेकिन अब टैक्स हटने के बाद लोगों में ज्यादा बीमा कवर लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी.
बीमा कवरेज में होगी बढ़ोतरी
भारत में केवल 5-7% लोगों के पास ही हेल्थ इंश्योरेंस कवर है. विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी हटने से गरीब और मध्यमवर्गीय लोग भी सस्ती दरों पर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद पाएंगे. इससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी और अस्पतालों में इलाज का बोझ कम होगा.
सामाजिक सुरक्षा को मिलेगा बढ़ावा
लोगों का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों पर टैक्स लगाना उचित नहीं है. टैक्स खत्म होने के बाद इंश्योरेंस प्रीमियम सस्ता होगा और कार-बाइक इंश्योरेंस कराने में भी हिचक कम होगी. इससे न केवल आम जनता को फायदा होगा बल्कि इंश्योरेंस मार्केट का जीडीपी में योगदान भी बढ़ेगा.
चिकित्सा उपकरणों पर भी टैक्स कम
सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर भी जीएसटी दरें घटा दी हैं. पहले स्टेथोस्कोप, थर्मामीटर जैसे उपकरणों पर 12% से 18% टैक्स लगता था. अब इन पर जीएसटी 5% या शून्य कर दिया गया है. इससे अस्पतालों और डॉक्टरों पर खर्च कम होगा और अंततः मरीजों को इसका लाभ मिलेगा.
जीवन रक्षक दवाइयों पर जीएसटी शून्य
केंद्र सरकार ने 33 जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य कर दिया है. इनमें कैंसर, हृदय रोग और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली महंगी दवाइयां शामिल हैं. इससे मरीजों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा और गंभीर बीमारियों का इलाज अपेक्षाकृत सस्ता हो जाएगा.
इन दवाओं पर नहीं लगेगा जीएसटी
- ओनासेमनोजेन अबेपार्वोवेक
- एस्किमिनिब, मेपोलिज़ुमाब
- पेगीलेटेड लिपोसोमल इरिनोटेकन
- डाराटुमुमाब, डाराटुमुमैब उपचर्म
- टेक्लिस्टामैब, अमिवंतामब, इंक्लिसिरन
- एलेक्टिनिब, रिस्डिप्लाम, ओबिनुटुज़ुमैब
- पोलाटुज़ुमैब वेडोटिन, एंट्रेक्टिनिब
- एटेजोलिज़ुमाब, स्पेसोलिमैब, वेलाग्लूसेरेज अल्फा
- एगल्सिडेस अल्फा, रुरियोक्टोकॉग अल्फा पेगोल
- इडुरसल्फेटेज, एल्ग्लूकोसिडेस अल्फा
- लैरोनिडेस, ओलिपुडेस अल्फा, टेपोटिनिब
- एवेलुमैब, एमिसिज़ुमाब, बेलुमोसुडिल
- मिग्लस्टैट, वेलमनसे अल्फा, एलिरोक्यूमैब
- एवोलोकुमाब, सिस्टामाइन बिटार्ट्रेट
- सीआई-अवरोधक इंजेक्शन
हानिकारक उत्पादों पर टैक्स बरकरार
जहां स्वास्थ्य सेवाओं और दवाइयों को टैक्स से राहत दी गई है, वहीं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों पर टैक्स में कोई कमी नहीं की गई है. गुटखा, पान मसाला, सिगरेट, तंबाकू, जर्दा और बीड़ी जैसे उत्पादों पर पहले की तरह ही 40% से अधिक टैक्स और सेस लगेगा. इसका उद्देश्य है लोगों को इनका इस्तेमाल करने से रोकना और स्वास्थ्य के लिए जागरूकता बढ़ाना.
सुधारों से मिलने वाले प्रमुख लाभ
- अधिक लोग हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस कवर खरीद पाएंगे.
- गरीब और मध्यम वर्ग को इलाज के खर्च में राहत मिलेगी.
- अस्पतालों और डॉक्टरों पर खर्च घटेगा, जिससे इलाज सस्ता होगा.
- दवा और उपकरणों के सस्ते होने से गंभीर बीमारियों का उपचार आसान होगा.
- इंश्योरेंस मार्केट का जीडीपी में योगदान बढ़ेगा.
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आम जनता के लिए सरकार का ऐतिहासिक कदम
जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स खत्म करना और जीवन रक्षक दवाइयों को जीएसटी फ्री करना आम जनता के लिए ऐतिहासिक कदम है. इससे जहां सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी, वहीं स्वास्थ्य सेवाओं तक आम लोगों की पहुंच भी आसान होगी. सरकार का यह निर्णय बीमा कवरेज बढ़ाने, चिकित्सा लागत घटाने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
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