Teachers Day 2025: शिक्षकों के सम्मान में पांच सितंबर को पूरा देश शिक्षक दिवस मनाएगा. शिक्षक शिक्षक होते हैं. वह शिक्षक चाहे स्कूल के हों या फिर कॉलेज के ही क्यों न हों. भारत में शिक्षा समाज के विकास का आधार है और शिक्षक एवं प्रोफेसर इसकी रीढ़ हैं. लेकिन देश में स्कूल के शिक्षक और कॉलेज के प्रोफेसरों को मिलने वाले वेतन में महान अंतर है. स्कूल शिक्षकों और कॉलेज प्रोफेसरों की सैलरी में अंतर उनके कार्यक्षेत्र, शैक्षिक योग्यता, अनुभव और संस्थान के प्रकार (सरकारी या निजी) पर तय किया जाता है. लेकिन, कॉलेज के प्रोफेसरों की सैलरी जानकर स्कूलों के माट’सा माथा पीट लेंगे और फिर अपना वेतन प्रोफेसरों के समान करने की मांग करने लगेंगे. इसका कारण यह है कि स्कूल के शिक्षक बच्चों में शिक्षा की बुनियाद रखते हैं, तब कॉलेज के प्रोफेसर उन्हें तराशने का काम करते हैं. जब दोनों प्रकार के शिक्षक बच्चों को शिक्षा देने का ही काम कर रहे हैं, तो वेतन में अंतर क्यों? आइए, जानते हैं कि स्कूल के शिक्षक और कॉलेज के प्रोफेसरों की सैलरी में कितना अंतर है.
स्कूल शिक्षकों की सैलरी
भारत में स्कूल शिक्षक विशेष रूप से सरकारी स्कूलों में 7वें वेतन आयोग के तहत वेतन प्राप्त करते हैं. प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) के शिक्षकों की शुरुआती सैलरी पे लेवल-10 के अंतर्गत 9,300 रुपये से 33,800 रुपये प्रति माह तक होती है. अनुभव और प्रमोशन के साथ यह 35,000 रुपये या अधिक हो सकती है. उदाहरण के लिए, राजस्थान में तृतीय श्रेणी (थर्ड ग्रेड) शिक्षकों की इन-हैंड सैलरी, भत्तों (एचआरए और सीसीए आदि) सहित लगभग 35,000 रुपये तक हो सकती है. प्रथम श्रेणी (फर्स्ट ग्रेड) शिक्षकों की सैलरी पे लेवल-12 के तहत 44,300 रुपये बेसिक पे और 4,800 रुपये ग्रेड पे के साथ 53,000-57,000 रुपये प्रति माह तक हो सकती है.।
न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में प्राथमिक शिक्षकों (कक्षा 1-5) का मूल वेतन 25,000 रुपये, कक्षा 9-10 के लिए 31,000 रुपये और कक्षा 11-12 के लिए 32,000 रुपये है. निजी स्कूलों में सैलरी कम होती है, जो आमतौर पर 15,000 से 30,000 रुपये मासिक होती है, जो स्कूल की प्रतिष्ठा और स्थान पर निर्भर करती है.
कॉलेज प्रोफेसरों की सैलरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉलेज प्रोफेसरों की सैलरी स्कूल शिक्षकों के मुकाबले काफी अधिक होती है, क्योंकि उनकी शैक्षिक योग्यता (आमतौर पर पीएचडी या यूजीसी-नेट) और जिम्मेदारियां अधिक जटिल होती हैं. सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की शुरुआती सैलरी 7वें वेतन आयोग के पे लेवल-10 या 11 के तहत 57,700 रुपये से 1,82,200 रुपये प्रति माह तक हो सकती है. अनुभव के साथ, सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर बनने पर यह 1.3 लाख रुपये से 2.2 लाख रुपये तक पहुंच सकती है.
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में बीएड असिस्टेंट प्रोफेसर की सैलरी 15,600-39,100 रुपये मासिक है, जिसमें ग्रेड पे शामिल होता है. शीर्ष संस्थानों जैसे आईआईटी और आईआईएम में प्रोफेसरों की सैलरी और भी अधिक होती है. एक टॉप आईआईएम प्रोफेसर की वार्षिक सैलरी लगभग 8 लाख रुपये हो सकती है और कंसल्टेंसी और कॉर्पोरेट ट्रेनिंग से अतिरिक्त आय संभव है. निजी कॉलेजों में सैलरी 40,000 रुपये से 1.2 लाख रुपये तक होती है, जो संस्थान की प्रतिष्ठा और शहर पर निर्भर करती है.
स्कूल शिक्षक और प्रोफेसर की सैलरी में अंतर
स्कूल शिक्षकों और कॉलेज प्रोफेसरों की सैलरी में मुख्य अंतर शैक्षिक योग्यता, कार्यभार, और संस्थान के स्तर से आता है. जहां प्राथमिक स्कूल शिक्षक की शुरुआती सैलरी 25,000-35,000 रुपये मासिक है. वहीं, असिस्टेंट प्रोफेसर की सैलरी 57,700 रुपये से शुरू होती है. उच्चतर स्तर पर, फर्स्ट ग्रेड स्कूल शिक्षक की सैलरी 53,000-57,000 रुपये तक हो सकती है, जबकि प्रोफेसर की सैलरी 2 लाख रुपये या अधिक हो सकती है. निजी क्षेत्र में यह अंतर और भी स्पष्ट है, जहां प्रोफेसरों को स्कूल शिक्षकों की तुलना में दोगुना या तिगुना वेतन मिल सकता है.
अतिरिक्त लाभ और भत्ते
स्कूल शिक्षकों को एचआरए, डीए और सीसीए जैसे भत्ते मिलते हैं, जो उनकी सैलरी में 34% तक की वृद्धि करते हैं. प्रोफेसरों को भी समान भत्ते मिलते हैं. साथ ही, रिसर्च ग्रांट (10 लाख रुपये तक) और रिलोकेशन भत्ते (1.25 लाख रुपये तक) जैसे अतिरिक्त लाभ मिलते हैं. आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में प्रोफेसरों को कंसल्टेंसी से अतिरिक्त कमाई का मौका भी मिलता है.
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योग्यता, अनुभव, और संस्थान पर सैलरी निर्भर
भारत में स्कूल शिक्षकों और कॉलेज प्रोफेसरों की सैलरी में काफी अंतर है. स्कूल शिक्षकों की औसत सैलरी 25,000-57,000 रुपये मासिक है, जबकि प्रोफेसरों की सैलरी 57,700 रुपये से 2.2 लाख रुपये तक हो सकती है. यह अंतर शैक्षिक योग्यता, अनुभव, और संस्थान के प्रकार पर निर्भर करता है. सरकारी क्षेत्र में दोनों को स्थिरता और भत्ते मिलते हैं, लेकिन प्रोफेसरों की सैलरी और अवसर स्कूल शिक्षकों से कहीं अधिक हैं. शिक्षा क्षेत्र में करियर चुनते समय इन अंतरों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है.
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