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मक्खन-मेवा, टीवी-फ्रिज जल्द होंगे सस्ते, जीएसटी परिषद की बैठक हो गई शुरू

GST Council Meeting: जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में बड़े कर सुधारों पर चर्चा शुरू हो गई है. प्रस्ताव के अनुसार, 12% और 28% कर स्लैब हटाकर केवल 5% और 18% दरें लागू होंगी. मक्खन, मेवे, घी, दवाइयां, साइकिल और रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी. टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन पर टैक्स घटकर 18% हो सकता है. वहीं, तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर 40% टैक्स लगेगा. आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है, जबकि लग्जरी कारें महंगी बनी रहेंगी.

GST Council Meeting: देश में मक्खन-मेवा और टीवी-फ्रिज की कीमतें जल्द ही कम होने वाली हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में सरकार ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों पर विचार-विमर्श किया. प्रस्तावित सुधारों के तहत मौजूदा 12% और 28% कर स्लैब को हटाकर केवल 5% और 18% की दो दरें रखने की योजना है. वहीं, कुछ विशेष वस्तुओं पर 40% की दर से कर लगाने का प्रस्ताव भी सामने आया है.

12% स्लैब वाली वस्तुएं आएंगी 5% में

प्रस्ताव के अनुसार मौजूदा 12% स्लैब में आने वाली लगभग 99% वस्तुएं अब 5% स्लैब में आ सकती हैं. इनमें आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाले मक्खन, सूखे मेवे, फलों के रस, घी, 20 लीटर का पैकेज्ड पानी, नमकीन, दवाइयां और चिकित्सकीय उपकरण, कुछ जूते और परिधान आदि शामिल हैं. इसके अलावा पेंसिल, साइकिल, छाता और हेयर पिन जैसी रोजमर्रा की चीजें भी अब केवल 5% जीएसटी दर में उपलब्ध हो सकती हैं.

टीवी-फ्रिज और वॉशिंग मशीन पर घटेगा टैक्स

बैठक में यह भी तय किया जा सकता है कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं. मौजूदा समय में टीवी, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन पर 28% जीएसटी लगता है. लेकिन, प्रस्तावित सुधारों के बाद इन पर सिर्फ 18% टैक्स लगेगा. इससे घरेलू उपकरणों के दाम कम होने की संभावना है और उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा.

वाहनों पर नए कर ढांचे का प्रस्ताव

वाहनों पर वर्तमान में 28% की उच्चतम दर और क्षतिपूर्ति उपकर लागू है. नए प्रस्ताव के तहत इसमें बदलाव किया जाएगा. एंट्री लेवल कारों पर 18% की दर लागू होगी. एसयूवी और लग्जरी कारों पर 40% की विशेष दर से कर लगाया जाएगा. यानी, सामान्य कारें सस्ती हो सकती हैं, जबकि प्रीमियम गाड़ियों पर अतिरिक्त बोझ बना रहेगा.

तंबाकु-सिगरेट पर 40% टैक्स

तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसी अवगुणों से संबंधित वस्तुओं पर 40% कर लगाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा इस दर के ऊपर भी अतिरिक्त कर लगाया जा सकता है. इस पर कुछ राज्यों ने आपत्ति जताई है और कहा है कि ऐसे टैक्स का हिस्सा राज्यों के साथ भी साझा किया जाए.

विपक्षी राज्यों की मांग

पश्चिम बंगाल समेत आठ विपक्षी राज्यों (हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल) ने मांग की कि 40% से ऊपर लगाया गया कोई भी अतिरिक्त कर राज्यों के साथ साझा होना चाहिए, ताकि उनके राजस्व घाटे की भरपाई हो सके. दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने केंद्र के प्रस्तावों का समर्थन किया है. राज्य के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाना आम जनता के हित में है. आंध्र प्रदेश की सत्ता में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) है, जो केंद्र की भाजपा-नीत राजग सरकार की सहयोगी है.

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आम उपभोक्ताओं को होगा फायदा

जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक से पहले सरकार के फैसलों से यह साफ है कि वह आम उपभोक्ताओं को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है. मक्खन, मेवे, घी, दवाइयां और रोजमर्रा की वस्तुओं के सस्ते होने से लोगों को फायदा होगा. वहीं, टीवी, फ्रिज और कारों जैसे बड़े सामान पर कर दरों में कमी से बाजार में मांग बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि, तंबाकू और पान मसाला जैसे उत्पाद और महंगे हो सकते हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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