नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अप्रत्याशित पहल करते हुए 2016-17 का आम बजट पेश करने से दो दिन पहले शनिवार को अर्थशास्त्रियों की बैठक बुलायी है. जेटली के अलावा अर्थशास्त्रियों के साथ शनिवार सुबह होने वाली इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. अधिकारियों ने डेढ घंटे (90 मिनट) की इस बैठक की पुष्टि की लेकिन यह नहीं बताया कि इसका एजेंडा क्या है. यह पहल अपने-आप में असाधारण है क्योंकि इससे पहले किसी वित्त मंत्री ने बजट से दो दिन पहले अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक नहीं बुलायी है. आखिरी वक्त में होने कुछ बदलावों को छोडकर शनिवार तक आम बजट को अंतिम स्वरुप दिया जा चुका होगा.
उद्योगजगत के अधिकारियों ने कहा कि आखिरी क्षण में आयोजित की जा रही इस बैठक का मकशद शायद अर्थव्यवस्था को ठीक दिशा में बनाए रखने के लिए कुछ फौरी पैकेज समझ लिए जाएं और कडवी खुराक की पैकेजिंग की जा सके. अटकलें हैं कि सरकार 2016-17 के लिए पहले से तय 3.5 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर शायद न कायम रहे. आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षित तेजी नहीं आने और कर राजस्व में नरमी के बीच सरकार ने पिछले साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य फिर से तय किया था और इसे जीडीपी के तीन प्रतिशत तक सीमित करने के लिए समय दो साल से बढा कर तीन साल कर दिया.
शनिवार की बैठक का लक्ष्य यह भी हो सकता है कि अर्थशास्त्रियों को कुछ वृहद-आर्थिक संकेतकों और सरकार की वित्तीय स्थिति के बारे में सूचित किया जाए। साथ ही व्यय कटौती और राजकोषीय फेर-बदल पर उनकी राय ली जाए. जेटली ने बजट-पूर्व बैठकों के दौर में जनवरी में अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की थी. यह बैठक वित्त वर्ष 2015-16 की कल पेश होने वाली आर्थिक समीक्षा के एक दिन बाद हो रही है. शनिवार को मुख्य आर्थिक सलाहाकार अरविंद सुब्रमण्यम भी आर्थिक समीक्षा के उल्लेखनीय बिंदुओं का विवरण देने के लिए मीडिया से मुखातिब होंगे. आर्थिक समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं.
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