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मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि चार माह के उच्चतम स्तर पर, लेकिन नहीं बढ़ा रोजगार

नयी दिल्ली : घरेलू मांग बढ़ने के मद्देनजर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मई माह में सबसे तेज रही लेकिन लागत ऊंची बनी रही और कंपनियों ने नयी नियुक्ति को लेकर सावधानी का रूख अपनाये रखा. यह बात एचएसबीसी के आज जारी मासिक सर्वेक्षण में कही गयी है. विनिर्माण क्षेत्र संबंधी यह अनुमान ऐसे समय […]

नयी दिल्ली : घरेलू मांग बढ़ने के मद्देनजर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मई माह में सबसे तेज रही लेकिन लागत ऊंची बनी रही और कंपनियों ने नयी नियुक्ति को लेकर सावधानी का रूख अपनाये रखा.

यह बात एचएसबीसी के आज जारी मासिक सर्वेक्षण में कही गयी है. विनिर्माण क्षेत्र संबंधी यह अनुमान ऐसे समय आया है जब आरबीआई अपनी दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा कल करने जा रहा है. उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत ब्याज दर कम कर सकता है.
सर्वे इकाई मार्किट द्वारा संकलित एचएसबीसी इंडिया खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) मई माह में 52.6 पर पहुंच गया जो अप्रैल में 51.3 था. जनवरी 2015 के बाद इस क्षेत्र में उत्पाद और नए आर्डर में वृद्धि की यह सबसे तीव्र दर है. पीएमआई सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे कम संकुचन का संकेत देता है.
इस आंकडे से स्पष्ट है कि विनिर्माण क्षेत्र लगातार 19 महीने से वृद्धि दर्ज कर रहा है. मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा पीएमआई आंकडे से मई माह के दौरान भारत में विनिर्माण वृद्धि में उल्लेखनीय विस्तार का संकेत मिलता है. उत्पादन और नए ऑर्डर दोनों ही चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हालांकि निर्यात के ऑर्डर की तेजी थमी.
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में तेजी आने के बावजूद मई माह में इस क्षेत्र में रोजगार की स्थिति अपरिवर्तित रही. सर्वेक्षण में शामिल की गयी 99 प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने कहा कि वृद्धि दर की मजबूती के बारे में अनिश्चितता के मद्देनजर वे कर्मचारियों की संख्या पिछले स्तर पर ही बनाए हुए हैं.
लीमा ने कहा इस क्षेत्र का परिदृश्य रोजगार बाजार में ठहराव बाजार की संभावनाओं में घिरा है क्योंकि कंपनियों वृद्धि दर की मजबूती को लेकर अनिश्चिता है.

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