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माघ मेले के कारण चमड़ा कारखानों पर रोक से करोडों का नुकसान, मजदूर बेरोजगार

कानपुर : माघ मेले के मद्देनजर गंगा में प्रदूषण रोकने उद्देश्य से कानपुर और आसपास की टेनरियों (चमडा कारखाने) को एक माह में लगभग 15 दिन बंद रखने के आदेश से शहर के करीब 350 टेनरी मालिक और चमडा व्यापारी और मजदूर परेशान है. उनका कहना है कि इससे उन्हें करीब 400-500 करोड रुपये से […]

कानपुर : माघ मेले के मद्देनजर गंगा में प्रदूषण रोकने उद्देश्य से कानपुर और आसपास की टेनरियों (चमडा कारखाने) को एक माह में लगभग 15 दिन बंद रखने के आदेश से शहर के करीब 350 टेनरी मालिक और चमडा व्यापारी और मजदूर परेशान है. उनका कहना है कि इससे उन्हें करीब 400-500 करोड रुपये से उपर का नुकसान हो सकता है.

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चमडा कारखानों को निर्देश दिया है कि वह प्रत्येक बडे स्नान पर्व के तीन दिन पहले चमडा साफ करने का काम बंद कर दें ताकि इसमें इस्तेमाल होने वाले रसायन गंगा में न बह सकें. बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक टी यू खान ने कहा कि बोर्ड और टेनरी मालिको की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया और इसे 350 टेनरी मालिकों ने आपसी सहमति के साथ इन निर्देश को मान लिया है.

वे तीन जनवरी से 17 फरवरी तक विभिन्न चरणों में 15 दिन अपनी टेनरियों में कोई भी गीला काम नहीं करेंगे. हालांकि उनका कहना है कि करीब पन्द्रह दिनों तक टेनरियों का काम बंद रहने से इनके पास पास यूरोपीय देशों सहित अनेक देशों के लिए करोड़ों का माल बनने का काम प्रभावित हो सकता है.

चर्म निर्यात परिषद (काउंसिंल फार लेदर एक्सपोर्ट) क्षेत्रीय निदेशक ओपी पांडेय ने आज बताया कि माघ मेला के दौरान करीब 15 दिन टेनरी बंद रहने से टेनरी मालिको को करीब 500 करोड रुपये का नुकसान होने की आशंका है इसके साथ ही सैकडों मजदूर टेनरी बंद हो जाने से बेरोजगार हो गये हैं जिनमें से अधिकतर दलित और अल्पसंख्यक समाज से हैं.

चमडा व्यापारी इमरान सिद्दीकी कहते है कि कानपुर का चमडा व्यापार सबसे ज्यादा यूरोपीय देशों से होता है उसके बाद अमेरिका, अफ्रीकी देशों और साउथ अमरीका जाता है. कानपुर में माघ मेंले के कारण बंद पडी टेनरियों के ज्यादातर विदेशी आर्डर आगरा और चेन्नई जाने वाले थे.

कानपुर के चमडा व्यापारी विदेशों को अधिकतर चमडे के जूते, सैडलरी और चमडे से बने अन्य सामान भेजते हैं. सुपर टेनरी के निदेशक इमरान सिद्दीकी कहते है कि माघ मेले का सम्मान करते हुये हम सभी लोग अपनी अपनी टेनरियां पूरी तरह से बंद किये हुये है क्योंकि आखिर यह हमारे देश की संस्कृति और श्रध्दा से जुडा हुआ मामला है लेकिन सबसे बडा सवाल उन सैकडो मजदूरों के लेकर जो टेनरियों में डेली वेजेज पर काम करते है.

कानपुर के एक अन्य बडी टेनरी के मालिक आसिफ खान ने भी मजदूरों को लेकर चिंता जाहिर की. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के खान ने बताया कि मेले के मददेनजर जिला प्रशासन ने शहर और उसके आसपास क्षेत्र में चमडे का काम करने वाली सभी 350 से अधिक टेनरियों से यह लिखित रूप में ले लिया गया है पौष पूर्णिमा के अवसर पर तीन से पांच जनवरी तक, मौनी अवस्या पर 18, 19 और 20 जनवरी को टेनरी बंद रहेंगी.

इसके अलावा 22, 23 और 24 जनवरी को बंसत पंचमी पर तथा 1, 2 व 3 फरवरी को को माघ पूर्णिमा पर तथा 15, 16 और 17 फरवरी को महाशिवरात्रि पर टेनरियां बंद रहेंगी. इस दौरान टेनरी से कोई भी गंदा पानी गंगा नदी में बहाया नही जायेंगा, ताकि स्नान करने वाले श्रध्दालुओं को स्वच्छ पानी स्नान के लिये मिल जायें.

प्रदूषण विभाग के मुताबिक इस व्यवस्था के कार्यक्रम से सभी टेनरियों के मालिकों को अवगत करा दिया गया है और सभी टेनरियों की इन तारीखों में प्रदूषण बोर्ड द्वारा आकस्मिक जांच होगी और यदि किसी टेनरी में चर्म शोधन का काम होता पाया गया तो उसके मालिको के खिलाफ कडी कार्रवाई की जायेंगी. कानपुर जिला प्रशासन ने भी अधिकारियों की टीमें गठित कर दी हैं जो प्रतिदिन टेनिरियों में जांच कर यह सुनिश्चित करेंगी कि पाबंदी के अनुसार उनमें कोई गीला काम नहीं हो.

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