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आलू, तेल और बिजली ने रोकी महंगाई की रफ्तार, थोक मुद्रास्फीति जुलाई में 25 साल के निचले स्तर पर

नयी दिल्ली : खाद्य सामग्री, ईंधन तथा विनिर्मित उत्पादों की कीमतें कम होने के कारण थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जुलाई महीने में 1.08 फीसदी पर आ गयी. यह थोक मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने आयी कमी है. यह 25 महीने के निम्नतम स्तर पर है. थोक मुद्रास्फीति जून में 2.02 फीसदी तथा पिछले […]

नयी दिल्ली : खाद्य सामग्री, ईंधन तथा विनिर्मित उत्पादों की कीमतें कम होने के कारण थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जुलाई महीने में 1.08 फीसदी पर आ गयी. यह थोक मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने आयी कमी है. यह 25 महीने के निम्नतम स्तर पर है. थोक मुद्रास्फीति जून में 2.02 फीसदी तथा पिछले साल जुलाई में 5.27 फीसदी थी. इससे पहले जून, 2017 में यह इससे नीचे 0.90 फीसदी पर थी. जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति भी जून के 3.18 फीसदी की तुलना में नरम होकर 3.15 फीसदी रही है.

इसे भी देखें : Whole sale महंगाई जून में घटकर दो साल के सबसे निचले स्तर पर

रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर निर्णय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर ही गौर करता है, लेकिन इसमें तेज गिरावट के कारण अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में भी रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर घटाये जाने की संभावना को बल मिलता है. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वर्ग की मुद्रास्फीति जून के 6.98 फीसदी से नरम होकर 6.15 फीसदी पर आ गयी. थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं को 15 फीसदी भारांश दिया गया है.

खाद्य वस्तुओं के वर्ग में आलू के भाव में गिरावट जारी रही. आलू में जून का भाव एक साल पहले की तुलना में 24.27 फीसदी नीचे रहा. जुलाई में यह सालाना आधार पर 23.63 फीसदी सस्ता था. सब्जियों के वर्ग में मुद्रास्फीति 24.76 फीसदी से गिरकर 10.67 फीसदी रह गयी. हालांकि, फलों में थोक मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि देखने को मिली और यह जून के 1.87 फीसदी की तुलना में जुलाई में 15.38 फीसदी पर पहुंच गयी.

ईंधन एवं बिजली वर्ग में थोक भाव सालाना आधार पर और गिरे है. पिछले जून महीने में इस वर्ग में थोक मूल्य सूचकांक सालाना आधार पर 2.20 फीसदी कम था. जुलाई दरें एक साल पहले से 3.64 फीसदी नीचे आ गयीं. अखाद्य सामग्रियों में थोक मुद्रास्फीति 5.06 फीसदी से कम होकर 4.29 फीसदी पर आ गयी. विनिर्मित उत्पादों में थोक मुद्रास्फीति 0.94 फीसदी से गिरकर 0.34 फीसदी पर आ गयी. थोक मूल्य सूचकांक में विनिर्मात उत्पादों की 64.23 फीसदी हिस्सेदारी होती है.

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि निकट भविष्य में थोक मुद्रास्फीति के नरम रहने का ही अनुमान है. हालांकि, रुपया के कमजोर रहने से आयात की लागत में वृद्धि देखने को मिल सकती है. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुद्रा शोध प्रमुख राहुल गुप्ता ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट अप्रत्याशित है. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण खाद्य सामग्रियों की मुद्रास्फीति में कमी आना रहा है.

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