मुंबई/नयी दिल्ली : गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआर्इआे) ने कंपनी मामलों के मंत्रालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि संकट से जूझ रहे आर्इएलएंडएफएस ने कर्मचारियों के ट्रस्ट के जरिये करीब 400 करोड़ रुपये का कर्ज जारी कर दिया. हालांकि, कंपनी को यह पता था कि ट्रस्ट के जरिये जारी किये जाने वाले कर्ज की वापसी नहीं होगी. एसएफआर्इआे की जांच से यह भी पता चला है कि कंपनी के पुराने प्रबंधन समिति में शामिल प्रमुख अधिकारियों ने ट्रस्ट को जारी 400 करोड़ रुपये से कर्इ करोड़ों रुपये की चल आैर अचल संपत्ति अर्जित की है.
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हिंदी के अखबार नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित समाचार में एसएफआर्इआे के हवाले से कहा गया है कि इस ट्रस्ट में आर्इएलएंडएफएस के पूर्व निदेशकों का दबदबा था.इन लोगों में कंपनी के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रवि पार्थसारथी, उपाध्यक्ष हरि शंकरन, संयुक्त प्रबंध निदेशक और कंपनी के सीईओ अरुण कुमार साहा, सीआईओ विभव कपूर और आर्इएलएंडएफएस फाइनेंशियल के सीआईओ और प्रबंध निदेशक आरसी बावा शामिल थे. यही अधिकारी भी कंपनी की कर्इ सहायक कंपनियों में निदेशक मंडल के भी सदस्य थे. अखबार ने लिखा है कि इन अधिकारियों ने ट्रस्ट का इस्तेमाल अपने किये गये फैसलों को लागू कराने और आर्इएलएंडएफएस समूह की कंपनियों की कीमत पर खुद को मालदार बनाने में किया. एसएफएसआे ने कहा कि इस ट्रस्ट का कॉन्ट्रैक्ट अब तक छह बार बदला जा चुका है, जबकि इनमें से कुछ बदलाव आर्इएलएंडएफएस के निदेशक मंडल की इजाजत के बिना किये गये.
अखबार के समचार में रिपोर्ट के हवाले से यह भी कहा गया है कि रवि पार्थसारथी ने 98.98 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और चार अचल संपत्तियां होने की जानकारी दी थी. पूर्व एमडी हरि शंकरन ने 19.04 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और तीन अचल संपत्तियों की घोषणा की थी. पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक अरुण साहा ने 59.49 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और नौ अचल संपत्तियों की जानकारी दी थी. वहीं, पूर्व सीईओ विभव कपूर ने 22.47 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और दो अचल संपत्तियों की जानकारी दी थी.
एसएफआर्इआे की रिपोर्ट में कहा गया कि इस ट्रस्ट को आईएलएंडएफएस समूह की कर्इ कंपनियों के सभी कर्मचारियों के कल्याण के इरादे से बनाया गया था, लेकिन इसका इस्तेमाल आईएलएंडएफएस और समूह की कंपनियों की सिक्यॉरिटीज में आईएलएंडएफएस और उसकी समूह कंपनियों से ही लिये गये कर्ज का निवेश करने के लिए किया गया. इसके बाद इसका उपयोग इन शेयरों को मामूली कीमत पर समूह प्रबंधन के चुनिंदा लोगों को देने या ये निवेश एक थर्ड पार्टी के हाथ बेचने और बिक्री से मिला पैसा प्रबंधन के चुनिंदा लोगों के बीच बांटने के लिए किया गया.
मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एसएफआर्इआे ने कहा है कि आर्इएलएंडएफएस कल्याणकारी ट्रस्ट का पंजीकरण नहीं कराया गया है और इसे कर्मचारियों के कल्याण से जुड़ी जरूरतों का ध्यान रखने के लिए बनाया गया था. एसएफआर्इआे की रिपोर्ट नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल मुंबई के पास जमा की गयी. ट्रस्ट पर करीब 500 करोड़ रुपये का बकाया है. उसके पास आईएलएंडएफएस लिमिटेड में 12 फीसदी की हिस्सेदारी है.
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