Land for Job Case Full Story and Update: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव का नाम फिर से कानूनी विवादों में आ गया है. ये मामला ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले से जुड़ा है. इसमें आरोप है कि जमीन के बदले नौकरी दी गई थी. इस केस की जांच CBI कर रही है.
बिना मंजूरी के दर्ज हुआ FIR
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. लालू यादव के वकील ने अदालत में दावा किया कि जब लालू रेल मंत्री थे, उस वक्त FIR दर्ज करने के लिए PC एक्ट (Prevention of Corruption Act, 1988) की मंजूरी लेना जरूरी था. उन्होंने कहा कि बिना इस मंजूरी के CBI FIR दर्ज नहीं कर सकती थी और जांच भी शुरू नहीं कर सकती थी.
CBI के पास ठोस आधार नहीं
लालू यादव की याचिका में यह भी कहा गया कि CBI की FIR में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए. साथ ही, उन्होंने कोर्ट से यह भी मांग की कि जब तक उनकी याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, निचली अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए.
हाई कोर्ट ने जल्दी सुनवाई से किया था इंकार
इससे पहले, लालू ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि वह हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देगा.
कब होगी अगली सुनवाई ?
अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को है. अदालत यह तय करेगी कि FIR दर्ज करने की प्रक्रिया सही थी या नहीं. इस फैसले का असर न सिर्फ लालू यादव पर बल्कि उनके राजनीतिक करियर और RJD के लिए भी काफी अहम होगा.
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क्या है पूरा मामला ?
लैंड फॉर जॉब केस भारत का एक विवादित भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें आरोप है कि कुछ नेताओं और अधिकारियों ने ‘जमीन के बदले नौकरी देने’ का घोटाला किया. आरोपों के मुताबिक, कुछ लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए उनसे जमीन या प्रॉपर्टी ली गई. इस मामले में प्रमुख आरोपी लालू प्रसाद यादव हैं, जो उस समय रेल मंत्री थे और बाद में RJD के सुप्रीमो बने. मामला CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के पास है, जो भ्रष्टाचार और घोटालों की जांच करती है. लालू यादव के वकील का कहना है कि FIR दर्ज करने के लिए PC Act (Prevention of Corruption Act, 1988) के तहत विशेष मंजूरी लेना जरूरी था, क्योंकि वह उस समय रेल मंत्री थे.

