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बिहार में सिर्फ दो ST आरक्षित सीट, फिर JMM क्यों लड़ रहा 6 सीटों पर चुनाव, पढ़ें जातीय समीकरण

Bihar Assembly Election 2025: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार में 6 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. जमुई, धमदाहा, चकाई, पिरपैंती और कटोरिया विधानसभा सीटों पर JMM का फोकस आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय के वोटरों पर है. साल 2005 से अब तक JMM का बिहार में प्रदर्शन सीमित रहा है, लेकिन इस बार पार्टी अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने की रणनीति पर काम कर रही है.

Bihar Assembly Election 2025, रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी कि झामुमो ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. वह बिहार में 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. इसकी घोषणा शुक्रवार को झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कर दी है. झामुमो जिन 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगा उनमें जमुई, धमदाहा, चकाई, मनिहारी, पिरपैंती और कटोरिया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि झामुमो का बिहार में कितनी पकड़ है कि उन्होंने 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. साल 2005 से 2020 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो झामुमो सिर्फ एक बार चकाई विधानसभा सीट जीती हुई है.

चकाई सीट से साल 2010 में झामुमो ने की थी जीत दर्ज

जी हां, साल 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो के सुमित सिंह ने चकाई से जीत दर्ज की थी. इसके अलावा वह किसी भी सीट पर साल 2005 से प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पायी है. वर्ष 2005 में ही झारखंड बनने के बाद JMM ने बिहार में 18 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन किसी सीट जीत दर्ज नहीं कर सकी. बावजूद इसके करीब 1.2% वोट पाकर पार्टी ने संकेत दे दिया कि सीमावर्ती इलाकों में उसकी पकड़ है.

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2010 से 2020 तक कैसा रहा है झामुमो का बिहार में प्रदर्शन

साल 2010 में जब चकाई सीट पर JMM के उम्मीदवार सुमित सिंह ने जीत तो कई राजनीतिक राजनीतिक विश्लेषक इसे उसका व्यक्तिगत प्रभाव माना. न कि पार्टी का प्रभाव. वहीं, साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन नतीजा शून्य रहा. उसका वोट शेयर लगभग 0.3% रहा. वहीं, साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार में 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इन चुनावों में भी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली और उसका वोट शेयर लगभग 0.3% रहा.

दो ही आदिवासी सीट फिर भी झामुमो क्यों लड़ रहा है 6 सीटों पर चुनाव

झामुमो का फोकस साफ है. वह उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ेगी जहां आदिवासी, महादलित और मुस्लिम समुदाय की संख्या अच्छी हैं. वैसे बिहार की दो सीट ही आदिवासियों के लिए आरक्षित है. धमदाहा विधानसभा सीट की बात करें तो आदिवासियों की संख्या वहां 9.8 फीसदी है, जो किसी पार्टी की जीत हार में निर्णायक भूमिका निभा सकती है. वहीं, मुस्लिम आबादी 14.55 है. मतलब साफ है कि अगर ये दो समुदाय का वोट ट्रांसफर किसी एक पार्टी की तरफ हो गया तो खेल बदल जाएगा. उसी तरह जमुई में जनजातीय समुदायों की जनसंख्या 79 हजार से ज्यादा है. वहीं, दलितों की जनसंख्या 3 लाख से ज्यादा. यही कारण है कि झामुमो इन दो सीटों पर भी उम्मीदवार उतार रहा है. इसके अलावा चकाई विधानसभा में आदिवासियों की जनसंख्या 4.48 फीसदी है. जबकि दलितों की संख्या 17.19 फीसदी है. उसी तरह पिरपैंती विधानसभा में आदिवासियों की जनसंख्या 11.65 फीसदी है. जबकि दलितों की संख्या 13.31 और मुस्लिमों की संख्या 18 फीसदी है. मतलब साफ है ये तीन समुदाय किसी के भी पार्टी का समीकरण बदल सकती है.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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