बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में शामिल और झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से सीट मांगी. लेकिन लालू यादव के इंकार और राहुल गांधी के इंट्रेस्ट ना लेने से जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) बिहार विधानसभा चुनाव से पूरी तरह आउट हो गया है. जेएमएम यहां महागठबंधन के तहत 16 विधानसभा सीटों पर दावेदारी कर रही था, लेकिन राजद और कांग्रेस नेतृत्व ने आखिरी वक्त तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया. इससे झारखंड मुक्ति मोर्चा का नेतृत्व न सिर्फ आहत है, बल्कि उसने झारखंड में राजद और कांग्रेस के साथ अपने मौजूदा गठबंधन की समीक्षा करने का निर्णय लिया है.
RJD ने JMM के साथ की राजनीतिक धोखेबाजी: सुदिव्य कुमार सोनू
पार्टी ने दीपावली के दिन बिहार में महागठबंधन से खुद को अलग करने का ऐलान कर दिया. झामुमो के वरिष्ठ नेता और झारखंड सरकार में मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा, “बिहार में राजद और कांग्रेस नेतृत्व ने हमें अपमानित किया है. झारखंड के विधानसभा चुनाव में हमने उन्हें वाजिब हिस्सेदारी दी थी. सरकार बनने के बाद हमने राजद के एक विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया. इसके बावजूद उन्होंने हमारे साथ राजनीतिक धोखेबाजी की है, जो नाकाबिले बर्दाश्त है.”
झारखंड में मौजूदा गठबंधन की समीक्षा करेगी JMM
सोनू ने इसे ‘राजद-कांग्रेस की धूर्तता’ करार दिया और कहा कि पार्टी झारखंड में मौजूदा गठबंधन की समीक्षा करेगी. राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा तेज है कि बिहार में हुई इस ‘बेवफाई’ का असर झारखंड की सत्ता पर भी पड़ सकता है.
महागठबंधन में शामिल न करने से JMM नाराज
इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने वाले बताते हैं कि बिहार चुनाव में महागठबंधन में शामिल न करने और सीट न देने से झामुमो के भीतर असंतोष गहरा गया है. हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जल्दबाजी में कदम नहीं उठाएंगे, जिससे गठबंधन की स्थिरता पर असर पड़े. हां ऐसा हो सकता है कि झामुमो दबाव की राजनीति के तहत राजद कोटे के किसी मंत्री को मंत्रिमंडल से हटा दे. ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि पार्टी अब और समझौते के लिए तैयार नहीं है. हालांकि, झामुमो के पास झारखंड में अकेले सरकार चलाने लायक बहुमत नहीं है. ऐसे में अगर पार्टी राजद से दूरी बनाती भी है, तो कांग्रेस का समर्थन बनाए रखना उसके लिए अनिवार्य होगा.
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नवंबर में बड़ा फैसला ले सकते हैं CM सोरेन
वहीं, दूसरे पत्रकार कहते हैं कि अगर झामुमो भविष्य में गठबंधन तोड़ने जैसा फैसला करता है तो इसके पहले वह कांग्रेस और राजद के विधायकों को तोड़कर अपने पाले में करेगा ताकि सरकार चलाने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या बल रहे. हेमंत सोरेन के लिए यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है. वह सियासत के पक्के खिलाड़ी और सरकार चलाने के लिए हर दांव पेंच में माहिर हो चुके हैं, लेकिन ऐसा कोई भी फैसला वह बहुत सोच-समझकर ही लेंगे. हालंकि ऐसा कुछ भी करने से पहले हेमंत सोरेन बिहार चुनाव का परिणाम आने तक इंतजार करेंगे. इसके बाद ही वे अपने अगले कदम का फैसला करेंगे.
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