Bihar Election 2025: बिहार की सियासत में गुरुवार 24 अक्टूबर को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने चुनावी माहौल में नई गर्माहट भर दी. समस्तीपुर में एनडीए की बड़ी रैली के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान के बीच मंच पर हुई मुलाकात ने सबका ध्यान खींच लिया. मगर इस दौरान मंच पर जो हुआ वो बिहार की राजनीति में समीकरणों की सुगबुगाहट के संकेत माने जा रहे हैं.
चिराग ने छुए पैर तो सीएम ने मुस्कुराकर किया अभिवादन
रैली के दौरान चिराग पासवान मंच पर पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले सीएम नीतीश कुमार के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया. दोनों नेताओं के बीच मुस्कुराहट और आत्मीय बातचीत का यह दृश्य राजनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है. मंच पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समेत कई अन्य नेताओं ने भी तालियां बजाकर इस पल का स्वागत किया. बिहार की राजनीति के लिए राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि यह पल एनडीए की एकजुटता को मजबूत करने वाला साबित हुआ है.
चिराग ने क्यों नहीं दिया भाषण?
रैली में चिराग पासवान के भाषण न देने को लेकर भी चर्चा रही. चिराग के करीबियों का कहना है कि उनका गला बैठा हुआ था, इसलिए उन्होंने मंच से संबोधित नहीं किया. यहां एक और बात देखने को मिली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिभावक की तरह चिराग पासवान रोका. जब मंच संचालक ने उन्हें आमंत्रित किया, तभी पीएम मोदी यहां अभिभावक की तरह नजर आए. उन्हें पता था कि चिराग का गला खराब है. जनता उन्हें ठीक से सुन नहीं पाएगी. इसलिए उन्होंने चिराग को इशारा कर सीएम नीतीश कुमार को बोलने भेज दिया.
2020 की याद और आज की तस्वीर
राजनीतिक पृष्ठभूमि में यह पल इसलिए भी अहम है क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 132 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उस समय एलजेपी (रामविलास) ने जेडीयू के खिलाफ मैदान में उतरकर नीतीश कुमार को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है. एनडीए गठबंधन में दोनों दल एक साथ हैं. समस्तीपुर की यह रैली बताती है कि चिराग पासवान और नीतीश कुमार ने पुरानी नाराजगी भुलाकर फिर से एक मंच साझा किया है. इस मुलाकात ने एनडीए खेमे में एक नया सियासी संदेश दिया है.
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राजनीतिक संदेश साफ
इस रैली ने यह संकेत दे दिया है कि बिहार चुनाव 2025 में एनडीए का फोकस “एकजुट चेहरा” पेश करने पर है. जहां कभी विरोध और तकरार थी, अब वहां तालमेल और तालियों की गूंज सुनाई दे रही है. नीतीश और चिराग का यह मिलन, एनडीए के अंदर राजनीतिक बर्फ के पिघलने और नए समीकरणों के साधने के रूप में देखा जा रहा है.
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