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बिहार चुनाव: कौन हैं विधायक डॉ. संजीव कुमार? जो JDU छोड़ RJD में होंगे शामिल, जानिए कितनी संपत्ति के हैं मालिक

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 से पहले बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है. खगड़िया की परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार ने हजारों समर्थकों संग आरजेडी का दामन थामने का ऐलान किया है. यह कदम जदयू के लिए झटका और राजद के लिए मजबूत बढ़त माना जा रहा है.

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इसी बीच खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार ने 3 अक्टूबर को अपने हजारों समर्थकों के साथ राजद में शामिल होने का ऐलान कर राजनीति में नई सुगबुगाहट पैदा कर दी है. उनके इस कदम को जदयू के लिए बड़ा झटका और आरजेडी के लिए बड़ा संबल माना जा रहा है.

कौन हैं डॉ. संजीव कुमार?

1979 में जन्मे डॉ. संजीव कुमार राजनीति में नए चेहरे जरूर हैं, लेकिन उनका परिवार लंबे समय से खगड़िया की राजनीति में प्रभावी रहा है. वे पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रहे डॉ. रामानंद प्रसाद सिंह (आरएन सिंह) के बेटे हैं. 2020 में पहली बार परबत्ता से विधायक चुने जाने के पीछे भी परिवार की मजबूत पकड़ और स्थानीय समर्थन अहम रहा.

पटना में चलाते हैं अपना डायग्नोस्टिक सेंटर

डॉ. संजीव ने मेडिकल पृष्ठभूमि से राजनीति की ओर कदम बढ़ाया. मुंबई के प्रतिष्ठित किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल और सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे डॉक्टर के रूप में काम करते रहे और पटना में अपना डायग्नोस्टिक सेंटर भी चलाते हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र की गहरी समझ के चलते उन्होंने विधानसभा में भी बार-बार मेडिकल ढांचे को मजबूत करने की मांग उठाई.

कितनी संपत्ति के मालिक हैं डॉ. संजीव कुमार?

चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके पास लगभग 19 करोड़ 87 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति है. इनमें से एक करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां भी दर्ज हैं. डॉ. संजीव के पास करीब 84 लाख रुपये बैंक खातों में जमा हैं, जबकि कंपनियों के शेयर, बांड और डिबेंचर में एक करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है. उन्होंने बीमा और एलआईसी पॉलिसियों में 49 लाख रुपये का निवेश किया है. उनके पास दो से तीन कारें हैं, जिनकी कीमत करीब एक करोड़ रुपये बताई गई है. इसके अलावा 45 लाख रुपये मूल्य के सोने, चांदी और हीरे के आभूषण भी उनके पास मौजूद हैं.

नाराजगी और बदलते समीकरण

बीते कुछ महीनों से उनकी एनडीए और जदयू से नाराजगी साफ झलक रही थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खगड़िया दौरे से दूरी और जदयू सम्मेलन में अनुपस्थिति ने इस राजनीतिक बदलाव के संकेत पहले ही दे दिए थे. डॉ. संजीव किसानों, भूमि विवाद और अधूरे प्रोजेक्ट्स को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हटते थे. यही बेबाकी उन्हें आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है.

आरजेडी में एंट्री से JDU को क्या होगा नुकसान?

परबत्ता सीट जदयू का पारंपरिक गढ़ मानी जाती रही है. यहां से कई बार संजीव के पिता विधायक रहे. ऐसे में संजीव कुमार का आरजेडी में जाना जदयू की पकड़ कमजोर करेगा. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव की पार्टी को खगड़िया और आसपास की सीटों पर संगठनात्मक ताकत की कमी थी. संजीव कुमार की एंट्री न केवल इस कमी को पूरा करेगी, बल्कि सवर्ण राजनीति में भी आरजेडी के लिए नए दरवाज़े खोलेगी.

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Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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