Bihar Politics: केरल कांग्रेस की ओर से एक्स (पूर्व ट्विटर) पर किए गए एक पोस्ट ने बिहार की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है. दरअसल, जीएसटी रिफॉर्म्स के तहत बीड़ी पर टैक्स घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि सिगरेट और सिगार पर टैक्स 40 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है. इसी फैसले को लेकर केरल कांग्रेस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट आया- “बी फॉर बीड़ी, बी फॉर बिहार”. इस पोस्ट ने बिहार की राजनीति में गरमाहट ला दी है.
कांग्रेस का सफाई और पलटवार
बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने तुरंत सफाई देते हुए कहा कि पोस्ट को गलत तरीके से तोड़ा-मरोड़ा गया. उन्होंने भाजपा-जदयू पर आरोप लगाया कि जानबूझकर इसे बिहार के अपमान से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा है. राजेश राम ने कहा, “बी फॉर बिहार इसलिए लिखा गया था क्योंकि बिहार चुनाव की वजह से यह निर्णय लिया गया. जनभावनाओं का सम्मान करते हुए हमने पोस्ट हटा दिया है. अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो हम खेद व्यक्त करते हैं.”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा. बीड़ी पर टैक्स घटाना लोगों को इसकी खपत के लिए प्रोत्साहित करना है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में न लाने को लेकर भी उन्होंने केंद्र पर हमला बोला.
विपक्ष का रुख
इस विवाद पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी बयान दिया. पटना में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, “बिहार के स्वाभिमान से खिलवाड़ किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. चाहे कोई भी हो, बिहारी अस्मिता पर चोट करने की इजाजत किसी को नहीं है.” हालांकि तेजस्वी ने यह भी कहा कि उन्होंने कांग्रेस का पोस्ट खुद नहीं देखा है.
एनडीए पर निशाना
कांग्रेस ने साफ तौर पर भाजपा-जदयू पर निशाना साधा कि उन्होंने कांग्रेस की छवि खराब करने और महागठबंधन को कमजोर करने के लिए गलत व्याख्या की. कांग्रेस का कहना है कि असली सवाल बीड़ी पर टैक्स घटाने का है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक है, लेकिन भाजपा-जदयू ने इसे मुद्दा बदलने और बिहार का अपमान करार देने की कोशिश की.
चुनावी राजनीति में नया विवाद
बिहार चुनाव से ठीक पहले यह विवाद नए सियासी समीकरणों को जन्म दे रहा है. एक ओर कांग्रेस सफाई देते हुए एनडीए पर हमलावर है, तो दूसरी ओर विपक्ष बिहार के स्वाभिमान को लेकर आक्रामक तेवर अपनाए हुए है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि इसमें “बिहार के सम्मान” जैसी संवेदनशील भावना जुड़ी है, जिस पर कोई भी दल चुप नहीं रहना चाहता.
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