Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मतदाताओं ने इतिहास रच दिया है. राज्य के सभी जिलों में मतदान प्रतिशत ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. खासकर सीमांचल और मगध क्षेत्रों में जनता ने लोकतंत्र के इस महापर्व में पूरे जोश और उत्साह के साथ भाग लिया. सीमांचल के जिलों में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक मतदान बढ़ा है, जो यह संकेत देता है कि इस बार जनता अपने मताधिकार को लेकर पहले से कहीं अधिक सजग और सक्रिय है.
सीमांचल में सबसे अधिक जोश, रिकॉर्ड टूटे
किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों में इस बार वोटिंग का माहौल बिल्कुल अलग दिखा. महिलाएं और युवा मतदाता बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर कतार में नजर आए. कटिहार में 79.10% और किशनगंज में 78.06% मतदान दर्ज किया गया, जो अब तक का सर्वाधिक है. पूर्णिया और अररिया में भी रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई.
आदिवासी समुदाय के लोग नहीं डाले वोट
कुछ जगहों पर ईवीएम में तकनीकी खराबी और स्थानीय मुद्दों को लेकर हल्के विवाद भी हुए. कटिहार के कसबा विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी समुदाय ने “रोड नहीं तो वोट नहीं” के नारे के साथ बहिष्कार किया. लेकिन प्रशासन के समझाने के बाद दोपहर में मतदान शुरू हुआ. अररिया में भी कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच मामूली झड़प और कुछ मतदान केंद्रों पर ईवीएम खराबी की शिकायतें आईं, मगर कुल मिलाकर मतदान शांतिपूर्ण रहा.
मगध में भी रिकॉर्ड वोटिंग
सीमांचल की तरह मगध प्रमंडल के जिलों में भी इस बार मतदाताओं ने रिकॉर्ड वोटिंग की. पटना, नालंदा, शेखपुरा, गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल जिलों में वोट प्रतिशत में औसतन सात से दस प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. बूथों पर सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं, खासकर महिला वोटरों का उत्साह देखने लायक था.
दूसरे फेज का जिलेवार वोट प्रतिशत
| जिला | वोट प्रतिशत |
| पश्चिम चंपारण | 70.79 |
| पूर्वी चंपारण | 71.17 |
| शिवहर | 68.74 |
| सीतामढ़ी | 66.91 |
| मधुबनी | 63.27 |
| सुपौल | 72.5 |
| अररिया | 69.68 |
| किशनगंज | 78.06 |
| पूर्णिया | 76.04 |
| कटिहार | 78.63 |
| भागलपुर | 67.46 |
| बांका | 70.25 |
| कैमूर (भभुआ) | 68.04 |
| रोहतास | 61.89 |
| अरवल | 63.82 |
| जहानाबाद | 65.33 |
| औरंगाबाद | 65.39 |
| गया | 68.65 |
नवादा | 57.85 |
| जमुई | 69.66 |
2020 में महागठबंधन का पलड़ा भारी था
2020 के विधानसभा चुनाव में मगध में महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा था. इस क्षेत्र की 49 सीटों में से 30 पर महागठबंधन को जीत मिली थी, जबकि एनडीए 19 पर सिमट गया था. औरंगाबाद में तो एनडीए का खाता तक नहीं खुला था. वहीं, गया जिले की 10 में 6 सीटें एनडीए और 4 सीटें महागठबंधन के खाते में गई थीं. नालंदा में एनडीए को बढ़त मिली थी, जबकि पटना की 14 सीटों में से नौ पर महागठबंधन और पांच पर एनडीए का कब्जा था.

