Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला सिर्फ दो बड़े गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन तक सीमित नहीं रहने वाला है. हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिम (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राज्य में एक ‘तीसरा मोर्चा’ खड़ा कर दिया है, जिससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं.
सीमांचल में कितने प्रतिशत मुस्लिम वोट बैंक हैं
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, सीमांचल के चार जिलों में मुस्लिम आबादी लगभग 47 प्रतिशत है. मसलन, किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 44.5 प्रतिशत, अररिया में 43 प्रतिशत और पूर्णिया में 39 प्रतिशत है. ऐसे में AIMIM के प्रमुख ओवैसी यहां मुश्लिम वोट बैंक बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं. जिन्हें वो अपने पाले में लाकर बिहार के सीमांचल में थर्ड फ़्रंट के निर्माण करने की कवायद में जुटे हैं.
इस बीच उन्होंने इस बात का भी एलान कर दिया है कि वह बिहार में नए सहयोगी तलाश रहे हैं. ओवैसी ने बातचीत के दौरान यह भी कहा जनता को अब एक नया और दमदार विकल्प चाहिए. ओवैसी की इस सक्रियता ने NDA और महागठबंधन दोनों की चिंता बढ़ा दी है.
2020 में मिली थी बड़ी जीत
AIMIM का बिहार में सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 2015 में पहली बार लड़ने पर पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली, लेकिन 2020 के चुनाव में उसने अपनी ताकत दिखाई. पार्टी ने सीमांचल की 5 सीटों- अमौर, बहादुरगंज, बायसी, कोचाधामन और जोकीहाट पर जीत हासिल की, जो उसकी सबसे बड़ी सफलता थी.
दल-बदल से लगा झटका
हालांकि, 2022 में पार्टी को बड़ा झटका लगा जब प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान को छोड़कर बाकी चारों विधायक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए. इस दल-बदल से पार्टी कमजोर हुई, लेकिन अब ओवैसी फिर से संगठन को मजबूत करने में लगे हैं.
32 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी
AIMIM अब सीमांचल से बाहर भी अपनी रणनीति का विस्तार करना चाहती है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया कि उन्होंने RJD प्रमुख लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को गठबंधन के लिए चिट्ठी लिखी थी, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. RJD से इनकार मिलने के बाद, ओवैसी की पार्टी अब तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में है. AIMIM के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी राज्य के 16 जिलों की 32 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
महागठबंधन के लिए फिर मुसीबत बनेंगे ओवैसी
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओवैसी का यह कदम सबसे ज़्यादा महागठबंधन को नुकसान पहुंच सकता है, खासकर उन सीटों पर जहां मुस्लिम वोट ज्यादा हैं. अगर AIMIM छोटे दलों को जोड़कर तीसरा मोर्चा बनाने और पिछड़ी जातियों के वोटरों को भी अपने साथ लाने में सफल होती है, तो यह NDA के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है.

